नई दिल्ली: देश में चारों ओर कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. कृष्ण जन्मोत्सव के इस पर्व में कृष्ण के अलग-अलग रूपों की झांकियां और उनकी रासलीलाओं का मंचन भारत के लगभग सभी राज्यों में होता है, पर क्या आप ये जानते हैं कि भारत में एक स्थान ऐसा है जहां आज भी श्री कृष्ण खुद आकर रासलीला करते हैं. ये जगह है धार्मिक नगर वृंदावन में मौजूद निधिवन. इस स्थान को बेहद पवित्र, धार्मिक और रहस्यमयी माना गया है. निधिवन एक ऐसी रहस्मयी जगह है जो वर्तमान में श्रीकृष्ण के अस्तित्व के राज को बयां करती है. आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा कौन सा रहस्य है जो इस जगह को खास बनाता है.
मान्यता है कि रात को इस जगह पर बांके बिहारी रासलीला करते हैं, और भगवान कि रासलीला देखने पर सभी को सख्त मनाही है. इसलिए वन के आसपास घरों में खिड़कियां ही नहीं हैं. यही कारण है कि सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है. उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है. आश्चर्य की बात यह है कि निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी शाम होते ही निधिवन को छोड़कर चले जाते है. रात होते ही निधिवन का रहस्य गहरा जाता है. दिन में इस जगह जितनी चहल-पहल रहती है, रात होते ही उतना सन्नाटा. स्थानीय निवासियों द्वारा कहा जाता है कि यहां, आज भी गोपियों के साथ श्रीकृष्ण जब रास रचाते हैं, तो आवाजें सुनाई देती हैं.
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निधिवन में है रंग महल
निधिवन के अंदर ही 'रंग महल' है. जिसके बारे में ये मान्यता है की रोज रात को यहां पर राधा और कन्हैया आकर रास रचाते हैं. रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है. पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है. सुबह पांच बजे जब 'रंग महल' का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है. रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है.
रासलीला देखने वाले हो जाते हैं पागल
निधिवन में रात को रुकने पर सख्त मनाही है. शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहां से चले जाते है. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां जो भी रात को रूकता है या छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह अंधा, गूंगा, बहरा या पागल हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को बता ना सके. इसी कारण रात के 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है.
यहां के पेड़ भी हैं रहस्मई
निधिवन में लगे पेड़ों के बारे में भी एक रोचक बात है, जो किसी की भी समझ से परे है. यहां लगे पेड़ों की शाखाएं ऊपर की तरफ बढ़ने की बजाए जमीन की ओर बढ़ती हैं और इनकी शाखाएं आपस में गुंथी हुई प्रतीत होते हैं. इसके अलावा यहां तुलसी के हर पौधे जोड़े में लगे हैं. इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं, तो यही जोड़े दार पेड़ गोपियां बन जाती हैं. जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं. साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगी तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है. लोग बताते हैं कि जो लोग भी ले गए वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए. इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता. जन्माष्टमी 2018: भारत के इन राज्यों में इस तरह से मनाया जाता है श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का त्योहार