Pongal Wishes 2020: पोंगल (Pongal) देश के सभी भागों में अलग-अलग नामों से मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है, उत्तर भारत और महाराष्ट्र में इसे मकर संक्रांति, बंगाल और आसाम में बिहू, आदि नामों से मनाया जाता है. दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में पोंगल का त्योहार बहुत प्रसिद्ध है, यह त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है. हर साल यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर के जनवरी के महीने में मनाया जाता है. इस त्योहार पर सूर्य देव और भगवान इंद्र की पूजा कर उन्हें बारिश और अच्छी फसल के लिए उनका शुक्रियादा किया जाता है. तमिल कैलेंडर के अनुसार पोंगल 15 जनवरी से 18 जनवरी तक मनाया जाता है. यह तमिल माह मर्गाज़ी (Maargazhi) के अंतिम दिन से संबंधित है.
पोंगल का त्योहार तब मनाया जाता है जब चावल, गन्ना, हल्दी आदि की फसल की कटाई हो जाती है, तमिल में पोंगल का अर्थ है उबालना. इस त्योहार के दिन चावल को गुड़ और दूध में उबालकर भगवान सूर्य को चढ़ाया जाता है और अच्छी फसल के लिए उनका धन्यवाद दिया जाता है. पोंगल के पहले यानी भोगी को लोग पुरानी नकारात्मक चीजों को त्यागकर अच्छी चीजों को ग्रहण करने की प्रतिज्ञा करते हैं. जिस प्रकार उत्तर भारत में नववर्ष की शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से होती है, उसी प्रकार दक्षिण भारत में सूर्य के उत्तरायण होने वाले दिन पोंगल से ही नववर्ष का आरंभ माना जाता है. ये दक्षिण भारतीयों का महत्वपूर्ण त्योहार है, इस दिन पुरुष और महिलाएं पारंपरिक रूप से सज धजकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को सुख समृद्धि की बधाई देते हैं, अगर आप भी अपने प्रियजनों को पोंगल की बधाई देना चाहते हैं तो नीचे दिए गए मसेजेस भेजकर दे सकते हैं.
आपको और आपके परिवार को
पोंगल की शुभकामनाएं!
एक-दूसरे से गले मिलकर जुड़ जाएं दिलों के तार
रेवड़ी और मिठाई की मिठास जीवन में ऐसे घुले
कि हर दिन बन जाए खास.
ऐसी प्रार्थना है ईश्वर से मेरी
पोंगल से हो एक नई शुरुआत
पोंगल की हार्दिक बधाई!
पोंगल पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं!
पोंगल पर सूर्य आपको अपनी गरमाहट दें,
पोंगल का पावन त्योहार आपको गन्ने की तरह मीठा बनाए
आप सभी को पोंगल की शुभकामनाएं!
मंदिर में बजने लगी हैं घंटियां
और सजने लगी हैं आरती की थाली
सूर्य की रोशन किरणों के साथ
अब तो सुनाई देती है एक ही बोली
हैप्पी पोंगल!
पोंगल के एक दिन पहले भोगी का त्योहार मनाया जाता है, यह त्योहार बारिश के देवता भगवान इंद्र के सम्मान में मनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. भोगी मंटालू का अनुष्ठान भी इस दिन किया जाता है, जिसके दौरान घर के बेकार सामानों को पारंपरिक रूप से गोबर के उपले और लकड़ी से बने अलाव में फेंक दिया जाता है और सकरात्मक जीवन जीने की प्रतिज्ञा ली जाती है.