Pitru Paksha 2020: हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का बड़ा महत्व है. भाद्रपद महीने की पूर्णिमा (Bhadrapad Purnima) से लेकर आश्विन मास की अमावस्या (Ashwin Amavasya) तक पितृपक्ष रहता है. इस वर्ष 2 सितंबर से शुरु हुआ पितृपक्ष का यह पितृ-मेला 16 सितंबर तक चलेगा.सनातन धर्म की मान्यतानुसार पितृपक्ष में पितर देव स्वर्गलोक से धरती पर परिजनों से मिलने आते हैं. कहा जाता है कि इन दिनों पित्तरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध इत्यादि करने से पित्तर तृप्त होते हैं और पितृदोष (Pitru Dosha) का सामना नहीं करना पड़ता है. गौरतलब है कि पितृदोष की स्थिति में परिजनों को धन, सेहत और अन्य कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ता है. चूंकि इस वर्ष कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग आवश्यक है, लेकिन पितृपक्ष में जरूरी परंपराओं को निभाना भी आवश्यक है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि पितृपक्ष में आपको क्या करना आवश्यक है और क्या काम हरगिज नहीं करना चाहिए.
पितृपक्ष में क्या करें?
- पितृपक्ष के 15 दिनों तक गाय, कुत्तों और कौवों को नियमित भोजन खिलाएं. गाय को हरा चारा, कुत्ते को दूध और कौवे को रोटी दे सकते हैं. अगर ऐसा करने से भी पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
- श्राद्धपक्ष में हर दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर पितरों को श्राद्ध दे. पितरों का तर्पण करते समय हाथ में कुश घास से बनी अंगूठी पहनना चाहिए
- जिस तिथि पर पितृ-देव का श्राद्ध पड़ता है, (इसकी गणना पिता की मृत्यु की तिथि से ज्ञात किया जा सकता है) उस दिन बिना साबुन लगाए स्नान करें. फिर बिना प्याज-लहसुन का उपयोग किये पितृ देव का पसंदीदा भोजन अथवा हलवा, पूरी एवं आलू की सब्जी बनाकर एक साफ पत्तल पर रखकर अंजुरी में शुद्ध जल लेकर पत्तल के चारों ओर उल्टी दिशा में छिड़काव करते हुए हाथ जोड़कर पित्तरों का ध्यान करें. इसके तुरंत बाद में यह भोजन कुत्ते, गाय और कौवे को खिलाने के बाद स्वयं भोजन करें.
- पितृपक्ष के दौरान हर दिन घर में रहते हुए तर्पण किया जाना चाहिए. इसके अंतर्गत पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर सूर्य देव को अथवा पीपल के पेड़ के नीचे तर्पण करना चाहिए
- अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों के नाम पर मन्दिर में दूध, चीनी, श्वेत वस्त्र व दक्षिणा आदि दें.
- परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसके निमित्त पिंडदान अवश्य कराएं.
- पितृपक्ष के दिनों में श्रीमद्भागवत का पाठ करें या श्रवण करें. इससे भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- इन दिनों जन कल्याण एवं पशु सेवा के साथ पक्षियों को दाने खिलाएं और वृक्षारोपण करें. यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2020: पितृपक्ष के दौरान सपने में पितरों के नजर आने का क्या हो सकता है मतलब? जानें इसके बारे में स्वप्न शास्त्र एवं शोध क्या कहता है
पितृपक्ष में क्या न करें?
- पितृपक्ष में बाल कटवाना, मदिरा अथवा मांस का सेवन वर्जित होता है. यद्यपि कुछ समुदायों में पित्तरों के पसंदीदा भोजन को ध्यान में रखते हुए मांसाहारी भोजन बनाकर कुत्तों एवं कौवों को खिलाया जाता है.
- पितृपक्ष में भोजन में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, लहसुन, प्याज और काला नमक का प्रयोग भी वर्जित है.
- हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध करना जरूरी होता है. श्राद्ध नहीं करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. ऐसी स्थिति में पितृपक्ष में घर के बड़े सदस्य को श्राद्ध जरूर करना चाहिए. श्राद्ध नहीं करने से पित्तरों की आत्मा दुखी एवं नाराज होती है.
- पितृपक्ष के दौरान किसी भी बड़े-बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए. मासूम पशु-पक्षियों को मारना अथवा उन्हें प्रताड़ित करने से बचें.
- हिंदू धर्म में मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान आपके पित्तर किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं. इसलिए इस दौरान घर आये किसी भी अतिथि, अनजान व्यक्ति अथवा भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए. इस तरह आप सीधा अपने पित्तरों का अपमान करते हैं, जिसकी वजह से उनके क्रोध का शिकार भी बन सकते हैं.
- नये कपड़े, नई वस्तुएं न खरीदें और ना ही उसका उपयोग करें. यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2020: पितृ-पूजा पर भी कोरोना का साया! सूनसान पड़ा है गया धाम! कैसे करें कोरोना में श्राद्ध
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.