Parivartini Ekadashi 2023 Wishes in Hindi: त्रिदेवों में शुमार जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को एकादशी तिथि अत्यंत प्रिय है, इसलिए कहा जाता है कि जो भी मनुष्य एकादशी का व्रत करता है, उसके सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है, फिर मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी व्रत की तिथियां आती हैं, जिसके हिसाब से हर महीने दो एकादशी व्रत पड़ते हैं. इन सभी एकादशियों में परिवर्तिनी एकादशी का अलग महत्व बताया जाता है, जिसे पद्मा या जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है. इस एकादशी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन योगनिद्रा के दौरान भगवान विष्णु अपनी शेषशैय्या पर करवट बदलते हैं. आज (25 सितंबर 2023) जहां गृहस्थ लोग परिवर्तिनी एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग 26 सितंबर को इस व्रत का पालन कर रहे हैं.
कहा जाता है कि जो व्यक्ति परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखता है और वामन अवतार की पूजा करता है, उसे वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. इसके साथ ही जाने-अनजाने में हुए पाप नष्ट होते हैं और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस अवसर पर आप श्रीहरि के इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स और एचडी इमेजेस को भेजकर शुभ परिवर्तिनी एकादशी कह सकते हैं.
1- आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आए,
भगवान आपको यश और कीर्ति दें…
शुभ परिवर्तिनी एकादशी
2- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्नानाभं सुरेशं।
विश्वधारं गगनसद्शं मेघवर्णं शुभाड्गमं।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
शुभ परिवर्तिनी एकादशी
3- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
शुभ परिवर्तिनी एकादशी
4- ॐ नमो नारायण।
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
शुभ परिवर्तिनी एकादशी
5- ॐ श्री विष्णवे नम:
शुभ परिवर्तिनी एकादशी
परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है, इसलिए इसे वामन एकादशी (Vaman Ekadashi), पार्श्व एकादशी या जयंती एकादशी भी कहा जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसके साथ ही चातुर्मास शुरु हो जाता है. गहन निद्रा काल के दौरान परिवर्तिनी एकादशी को भगवान विष्णु करवट बदलते हैं, जबकि कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के दिन श्रीहरि निद्रा से जागते हैं और उनके जागने के बाद से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.