Dev Uthani Ekadashi-Tulsi Vivah 2020: आज देवउठनी एकादशी है, साथ ही उत्तर भारत सहित देश के कई हिस्सों में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) भी मनाया जाएगा. देव उठनी एकादशी एक वार्षिक त्योहार है जो दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) कहा जाता है. वहीं कार्तिक की एकादशी तिथि, शुक्ल पक्ष तुलसी से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस दिन उनका विवाह भगवान विष्णु के स्वरुप शालिग्राम (Saligram) से किया जाएगा. देवउठनी एकादशी के दिन भक्त आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार महीने तक क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं और देव उठनी एकादशी के दिन जागते हैं. उनके जागने के बाद उनके शालिग्राम स्वरुप की माता तुलसी से विवाह कराया जाता है. इस दिन देवउठनी एकादशी की कथा सुनने से आपको स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह हर साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में पड़ता है. इसे पर्व को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र आदि जगहों पर मुख्य रूप से मनाई जाती है. देव उठनी एकादशी को देव शयनी एकादशी के चार महीने बाद मनाया जाता है. इसके बाद से सभी बड़े, धार्मिक और शुभ कार्य शुरू होते हैं. शादी-ब्याह से लेकर गृह प्रवेश आदि मंगल कार्य के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है. इस दिन देश के कई हिस्सों में लोग गंगा स्नान करते हैं. गंगा स्नान करने के बाद दान-पुण्य जैसे आदि कार्य करते हैं. आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी व देव उठानी एकादशी और तुलसी विवाह के अवसर पर उत्तर प्रदेश में श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान कर रहे हैं. वाराणसी (Varanasi) के गंगा (Ganga) नदी में इस तिथि पर्व पर स्नान करते हुए श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई. एक श्रद्धालु ने कहा कि, "आज के दिन लोग स्नान आदि कर दान-पुण्य का काम करते हैं और अपने घरों में तुलसी विवाह करते हैं."
#WATCH | उत्तर प्रदेश: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी व देव उत्थान एकादशी के अवसर पर श्रद्धालु वाराणसी में गंगा नदी में स्नान करते हुए।
एक श्रद्धालु ने बताया, "आज के दिन लोग स्नान आदि कर दान-पुण्य का काम करते हैं और अपने घरों में तुलसी विवाह करते हैं।" pic.twitter.com/ZD7skFxfqx
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 25, 2020
इस वर्ष वैष्णव संप्रदाय के अनुसार ग्रेगोरियन तिथि 26 नवंबर के दिन तुलसी विवाह मनाया जाएगा. हालांकि, जो लोग 25 नवंबर को देव उठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी व्रत (देवोत्थान एकादशी व्रत) रखते हैं वे उसी दिन तुलसी विवाह मनाएंगे. देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह के दिन के साथ ही भारत में शादियों का मौसम शुरू हो जाता है. आमतौर पर शादियों और अन्य शुभ समारोहों जैसे कि मुंडन, गृहप्रवेश आदि चातुर्मास अवधि के दौरान नहीं होते हैं जिनमें श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कृतिका माह शामिल हैं. इस एकादशी तिथि के साथ, चातुर्मास की अवधि की समाप्त हो जाती है और शुभ समारोहों का मौसम शुरू हो जाता है.
आज रात लोग अपने घरों में तुलसी विवाह का पर्व मनाएंगे. आम दिन की तरह ही तुलसी की पूजा जाएगी और शाम को पुरे रीति-रिवाज के साथ उनकी शादी शालिग्राम से की जाएगी. तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा और शालिग्राम को दूल्हे की तरह सजाया जाएगा. एक भारतीय शादी की सभी रस्में इस विवाह में भी निभाई जाएगी.