Hazrat Imam Hussain Quotes: आशूरा पर अपनों को भेजें हजरत इमाम हुसैन के ये प्रेरणादायी हिंदी कोट्स और उनकी शहादत को करें याद
हजरत इमाम हुसैन 2025 (Photo Credits: File Image)

Hazrat Imam Hussain Quotes: मुहर्रम (Muharram) इस्लामिक चंद्र कैलेंडर का पहला महीना होता है, जिसे इस्लाम धर्म के पाक महीनों में से एक माना जाता है. इसी पाक महीने में हजरत इमाम हुसैन (Hazrat Imam Hussain) ने इस्लाम धर्म की रक्षा करने के लिए अपनी शहादत दी थी. इस्लामिक नववर्ष (Islamic New Year) के पहले महीने मुहर्रम को सुन्नी और शिया दोनों समुदायों के लिए बेहद खास माना जाता है. इस महीने की शुरुआत, बकरीद (Bakrid) मनाए जाने के करीब 20 दिन बाद होती है. इस साल इस महीने की शुरुआत 27 जून 2025 से हुई थी, जबकि इस महीने के 10वें दिन आशूरा होता है, जिसे यौम-ए-आशूरा (Youm-e-Ashura) के नाम से भी जाना जाता है और इस साल 6 जुलाई 2025 को आशूरा मनाया जा रहा है.

आशूरा मातम का दिन होता है और हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग आशूरा के दिन मातम मनाते हैं. इस दिन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. ऐसे में आशूरा के इस अवसर पर आप हजरत इमाम हुसैन के इन प्रेरणादायी हिंदी कोट्स को अपनों संग शेयर करके उनकी शहादत को याद कर सकते हैं.

1- जुल्म के खिलाफ जितनी देर से उठोगे उतनी ज्यादा कुर्बानी देनी पड़ेगी

हजरत इमाम हुसैन

हजरत इमाम हुसैन 2025 (Photo Credits: File Image)

2- अगर दुनिया में तुम्हे कभी शिद्दत से गम मिले तो घबराना मत, मेरे गम को याद कर लेना तुम्हारे गम का वजन हल्का हो जाएगा.

हजरत इमाम हुसैन

हजरत इमाम हुसैन 2025 (Photo Credits: File Image)

3- अगर दुनिया में इंकलाब लाना चाहते हो तो तहजीबे नफ्स का आगाज खुद से करो, दुनिया खुद बदल जाएगी.

हजरत इमाम हुसैन

हजरत इमाम हुसैन 2025 (Photo Credits: File Image)

4- जिसका मददगार खुदा के अलावा कोई ना हो, खबरदार उस पर जुल्म ना करना.
हजरत इमाम हुसैन

हजरत इमाम हुसैन 2025 (Photo Credits: File Image)

5- नेक लोग अपने अंजाम से खौफजदा नहीं होते.
हजरत इमाम हुसैन

हजरत इमाम हुसैन 2025 (Photo Credits: File Image)

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, करीब 1400 साल पहले इराक के कर्बला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और यजीद की सेना के बीच खूनी जंग छिड़ी थी और हजरम इमाम हुसैन ने इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए शहादत दी थी. उनके साथ उनके परिवार और 72 साथियों ने भी अपना बलिदान दिया था, इसलिए यौम-ए-आशूरा के दिन को सब्र, कुर्बानी और ईमानदारी की मिसाल के तौर पर जाना जाता है.

इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजिया निकालकर मातम मनाते हैं. बता दें कि कर्बला इराक की राजधानी बगदाद से करीब 100 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में स्थित एक छोटा सा कस्बा है, जहां इमाम हुसैना और उनके साथी शहीद हुए थे.