मां चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं, आज नवरात्रि का दूसरा दिन और तृतीया तिथि है इसलिए आज का दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करते हैं, मां उनके सभी पापों को हर लेती हैं और भक्तों के काम के बीच में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करके उनका कल्याण करती हैं. सिंह पर सवार होकर माता अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. अगर आप भी अपने जीवन में किए गए पापों से मुक्त होकर कल्याण के भागी बनना चाहते हैं तो नवरात्रि की तृतीया lतिथि पर इनकी उपासना करें.
ज्योतिषियों की मानें तो जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष फलदायी होती है. चलिए जानते हैं किस विधि से पूजा करने पर मां अपने भक्तों पर प्रसन्न होती हैं.
ऐसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत ही सौम्य है. उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है और उनका स्वरूप स्वर्ण के समान कांतिमय है. उनकी दस भुजाएं हैं, जो विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं. उनके गले में सफेद फूलों की माला रहती है. वे सदैव आसुरी शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए तत्पर रहती हैं. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की उपासना, जीवन की समस्त परेशानियों से मिलेगी मुक्ति
यह रंग है मां को बेहद पसंद
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न के लिए भक्तों को भूरे कलर के कपड़े पहनने चाहिए. उनका वाहन सिंह है इसलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से भी मां प्रसन्न होती हैं.
मां को अर्पित करें ये भोग
नवरात्रि की तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और उन्हें दूध या दूध से बनी मिठाई या फिर खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि दूध का भोग अर्पित करने पर मां अपने भक्तों के समस्त दुखों को हर लेती हैं.
ऐसे करें देवी चंद्रघंटा की पूजा
आज के दिन श्रीदुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय का पाठ करना चाहिए. भक्तों को मणिपूरक चक्र में ध्यान लगाकर भगवती की साधना करनी चाहिए. मान्यता है कि मां चंद्रघंटा के पूजन से भक्तों की भय, डर और प्रेतबाधाओं से रक्षा होती है. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: मां शैलपुत्री को समर्पित है नवरात्रि का पहला दिन, मनोवांछित फल पाने के लिए ऐसे करें उनकी पूजा
इस मंत्र का करें जप
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
देवी पूजन का महत्व
देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप को भक्तों के लिए कल्याणकारी माना जाता है. मान्यता है कि इनकी उपासना करने से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं. भक्तों में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है.