दिल्ली मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ समेत पूरे भारत में आज मुहर्रम का चांद नजर नहीं आया. जिसके बाद शिया सुन्नी चांद कमेटियों ने ऐलान किया कि 11 अगस्त को मुहर्रम की पहली तारीख होगी और 20 अगस्त को यौमे आशूर का मनाया जाएगा. यह ऐलान ऑल इंडिया शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास और मरकजी चांद कमेटी के सदर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने की हैं.
मुस्लिम समुदाय में इस्लामिक महिना मुहर्रम का चांद दिखने के बाद शुरू होता है. फिलहाल दिल्ली, मुंबई, लखनऊ के बाद हैदराबाद में भी मोहर्रम का चांद नहीं दिखा हैं.
लखनऊ के बाद मुंबई में भी मुहर्रम का चांद नजर नहीं आया है. वहीं अब तक इन दोनों शहरों में चांद दिखा है या नहीं किसी भी मुस्लिम कमेटी की तरफ से चांद को लेकर घोषणा नहीं हुई हैं.
लखनऊ में फिलहाल अभी तक चांद नजर नहीं आया है. मुहर्रम का चांद दिखता है तो आज से इस्लामिक महिना शुरू हो जायेगा.
भारत में मुहर्रम का चांद नजर आया है या फिलहाल अभी तक मुस्लिम कमेटियों की तरफ से घोषणा नहीं हुई हैं. लेकिन कहा जा रहा है कि अब से कुछ समय बाद मुहर्रम के चांद को लेकर घोषणा हो सकती हैं.
मुहर्रम का चांद देखने के लिए लोग घरों से निकले हैं. भारत में आज मुहर्रम का चांद दिखने के इस्लामी साल का पहला महिना शुरू हो जायेगा. मुस्लिम मान्यताओं के हिसाब से मोहर्रम ग़म का महीना है. इसलिए इस महीने को लोग गम और मातम के रूप में मानते हैं
मुहर्रम का चांद देखने के लिए लोग अपने घरों से निकले हैं. चांद दिखने के बाद भारत में आज मगरिब के बाद से इस्लामिक महिना शुरू हो जायेगा.
मगरिब की नमाज के बाद भारत में लोग मुहर्रम का चांद देखेंगे. मुहर्रम का चांद दिखने के बाद इस्लामी साल कल से शुरू हो जायेगा.
मुहर्रम की तैयारी हुई पूरी, लोगों को चांद के दीदार का इंतजार
भारत में चांद के दीदार के बाद 10 अगस्त 2021 यानी कल से माह-ए-मुहर्रम (Maah-e-Muharram) की शुरुआत हो सकती है. मुहर्रम (Muharram 2021) को इस्लामिक कैलेंडर 'हिजरी' (Hijri Calendar) का पहला महीना माना जाता है, जो इस्लाम धर्म में बहुत अहमियत रखता है. हालांकि इस महीने को इस्लाम धर्म के लोग खुशियों के तौर पर नहीं, बल्कि मातम के रूप में मनाते हैं. मुहर्रम के महीने में कर्बला के 72 शहीदों को शिद्दत से याद किया जाता है. हालांकि इस साल भी कोरोना संकट की वजह से कई स्थानों पर मुहर्रम के दसवें दिन यौम-ए-आशुरा (Youm-e-Ashura) को भी अलग तरीके से मनाया जाएगा.
क्यों मनाते हैं मुहर्रम
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम का त्योहार इस्लाम के संस्थापक पैगंबर हजरत मुहम्मद के पोते हजरत इमाम हुसैन की शहादत के गम में मनाया जाता है. कहा जाता है कि मुहर्रम की 10वीं तारीख को 680 ई. में कर्बला के मैदान में भयंकर नरसंहार हुआ था, इसी नरसंहार में इमाम हुसैन के साथ-साथ उनके 72 साथी शहीद हो गए थे. इसी शहादत की याद में इस दिन देश भर में ताजिया निकाली जाती है. ये ताजिया हजरत इमाम हुसैन और पैगंबर मुहम्मद के पोते हजरत इमाम हसन की कब्रों की प्रतिकृति होते हैं. इसके बाद से ही मुहर्रम का त्योहार मनाने की परंपरा चली आ रही है.
क्या है अशूरा?
मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को अशूरा कहा जाता है. इसे इस्लामिक इतिहास के सबसे निंदनीय दिनों में से एक माना जाता है. भारत में मुहर्रम अशूरा के दिन मनाया जाता है. इस दिन शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं और इमाम हुसैन ने इंसानियत के जो पैगाम दिए हैं, उन्हें लोगों तक पहुंचाते हैं.
हिजरी किसे कहते हैं?
इस्लामिक साल को हिजरी संवत के नाम से जाना जाता है. इसकी शुरुआत हज़रत मोहम्मद साहब के मक्का से मदीना प्रवास करने यानी हिज़रत से मानी जाती है. इस्लामिक मान्यतानुसार 16 जुलाई सन 622 ईस्वी से हिजरी संवत का प्रारम्भ हुआ. यह चन्द्रमा पर आधारित गणना से वर्ष में 354 दिन और 12 माह का होता है. मोहर्रम इसका पहला महीना होता है, और ज़िलहिज़ आखिरी महीना होता है.