Mohini Ekadashi 2021: भगवान विष्णु को मोहिनी रूप क्यों लेना पड़ा? जानें महात्म्य, मुहूर्त, पूजा-विधि एवं व्रत-कथा!

मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. सनातन धर्म के अनुसार समुद्र-मंथन से निकला अमृत कलश राक्षसों के हाथ लगने के बाद श्रीहरि को मोहिनी का रूप धारण करना पड़ा था. मान्यता है कि इस दिन वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इसे मोहिनी एकादशी का नाम दिया गया.

त्योहार Rajesh Srivastav|
Mohini Ekadashi 2021: भगवान विष्णु को मोहिनी रूप क्यों लेना पड़ा? जानें महात्म्य, मुहूर्त, पूजा-विधि एवं व्रत-कथा!
मोहिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2021) का व्रत वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. सनातन धर्म के अनुसार समुद्र-मंथन से निकला अमृत कलश राक्षसों के हाथ लगने के बाद श्रीहरि को मोहिनी का रूप धारण करना पड़ा था. मान्यता है कि इस दिन वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इसे मोहिनी एकादशी का नाम दिया गया. ज्योतिषियों के अनुसार इस एकादशी का व्रत एवं विष्णुजी का पूजन करने से उनके दिव्य आशीर्वाद से जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है, तथा वर्तमान एवं पूर्व जन्म में किए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 23 मई 2021 यानी आज मोहिनी एकादशी मनाई जा रही है. जानें इस व्रत का महात्म्य, पूजा विधि, मुहूर्त एवं व्रत कथा... यह भी पढ़ें: Mohini Ekadashi 2021 HD Images: मोहिनी एकादशी पर श्रीहरि के इन WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Photos, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं

मोहिनी एकादशी व्रत का महात्म्य

सूर्य पुराण के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने वर्तमान एवं पूर्व जन्म में किए पापों से मुक्ति मिलती है. यह व्रत-पूजन करने से ऐसे दिव्य पुण्य की प्राप्ति होती है, जो तमाम तीर्थों, दान-पुण्य, यज्ञ एवं हजारों गायों का दान करके भी नहीं मिलती. मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत एवं पूजा करने के बाद जो व्रत कथा सुनता अथवा सुनाता है, वह मानव जन्म-मृत्यु के चक्र से सतत मुक्ति पा जाता है और देह त्यागने के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है. कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत भगवान श्रीराम ने मां सीता की खोज करते समय रखा था. ऐसा करने से उन्हें मा

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Mohini Ekadashi 2021: भगवान विष्णु को मोहिनी रूप क्यों लेना पड़ा? जानें महात्म्य, मुहूर्त, पूजा-विधि एवं व्रत-कथा!

मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. सनातन धर्म के अनुसार समुद्र-मंथन से निकला अमृत कलश राक्षसों के हाथ लगने के बाद श्रीहरि को मोहिनी का रूप धारण करना पड़ा था. मान्यता है कि इस दिन वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इसे मोहिनी एकादशी का नाम दिया गया.

त्योहार Rajesh Srivastav|
Mohini Ekadashi 2021: भगवान विष्णु को मोहिनी रूप क्यों लेना पड़ा? जानें महात्म्य, मुहूर्त, पूजा-विधि एवं व्रत-कथा!
मोहिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi 2021) का व्रत वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. सनातन धर्म के अनुसार समुद्र-मंथन से निकला अमृत कलश राक्षसों के हाथ लगने के बाद श्रीहरि को मोहिनी का रूप धारण करना पड़ा था. मान्यता है कि इस दिन वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी थी, इसीलिए इसे मोहिनी एकादशी का नाम दिया गया. ज्योतिषियों के अनुसार इस एकादशी का व्रत एवं विष्णुजी का पूजन करने से उनके दिव्य आशीर्वाद से जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है, तथा वर्तमान एवं पूर्व जन्म में किए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 23 मई 2021 यानी आज मोहिनी एकादशी मनाई जा रही है. जानें इस व्रत का महात्म्य, पूजा विधि, मुहूर्त एवं व्रत कथा... यह भी पढ़ें: Mohini Ekadashi 2021 HD Images: मोहिनी एकादशी पर श्रीहरि के इन WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Photos, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं

मोहिनी एकादशी व्रत का महात्म्य

सूर्य पुराण के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने वर्तमान एवं पूर्व जन्म में किए पापों से मुक्ति मिलती है. यह व्रत-पूजन करने से ऐसे दिव्य पुण्य की प्राप्ति होती है, जो तमाम तीर्थों, दान-पुण्य, यज्ञ एवं हजारों गायों का दान करके भी नहीं मिलती. मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत एवं पूजा करने के बाद जो व्रत कथा सुनता अथवा सुनाता है, वह मानव जन्म-मृत्यु के चक्र से सतत मुक्ति पा जाता है और देह त्यागने के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है. कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी व्रत भगवान श्रीराम ने मां सीता की खोज करते समय रखा था. ऐसा करने से उन्हें मानसिक कष्ट से मुक्ति मिली थी. इनके अलावा बंधु-बांधवों से युद्ध लड़ते हुए मानसिक प्रताड़ना से मुक्ति पाने के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने भी महाभारत काल में मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था.

मोहिनी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त-

एकादशीः प्रातः 09.15 बजे से प्रांरभ (22 मई 2021)

एकादशीः प्रातः 06.42 बजे समाप्त (23 मई 2021)

पारण: प्रातः 05.26 बजे से प्रातः 08:10 बजे तक

मोहिनी एकादशी की पूजा विधि-

मोहिनी एकादशी के दिन पूर्व व्रत रखने वाले को दशमी की शाम को भोजन नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान कर नये वस्त्र पहनकर सूर्य को जल चढ़ाएं. मोहिनी एकादशी व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा अथवा तस्वीर के सामने एक वेदी बनाकर उस पर सात किस्म के अनाज मसलन उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा अलंकृत तरीके से रखें. उस पर मिट्टी का कलश स्थापित करें. कलश में मुद्रा के साथ, अक्षत, पुष्प डालकर ऊपर से आम अथवा अशोक के पांच पत्तों को रखकर दीये से ढक दें. विष्णुजी की तस्वीर के सामने धूप एवं शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित कर पीला पुष्प, रोली, तुलसी एवं अक्षत अर्पित करें. पूजा के दरम्यान इस मंत्र का जाप अवश्य करें. ‘ऊँ ब्रह्म बृहस्पताय नमः’

इसके बाद मोहिनी एकादशी व्रत की कथा सुनें या सुनाएं. अंत में विष्णु जी की आरती उतारें. एकादशी व्रत की परंपरानुसार रात्रि जागरण कर श्रीहरि का कीर्तन-भजन करें. अगले दिन किसी ब्राह्मण को भोजन करायें एवं दक्षिणा देकर खुशी-खुशी विदा करें और अब आप स्वयं व्रत का पारण करें.

मोहिनी एकादशी व्रत कथाः

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देव और दानवों के बीच हुए समुद्र-मंथन में अमृत-कलश निकला, तो अमृत पाने के लिए देव और दानवों में झगड़ा शुरु हो गया. दोनों इसे पीकर अमर हो जाना चाहते थे. इसी दरम्यान अमृत कलश एक दानव के हाथ लग गया. यह देख विष्णुजी चिंतित हो गये कि अगर दानवों ने अमृत पी लिया तो ब्रह्माण्ड में हमेशा के लिए अशांति छा जायेगी. उन्होंने अमृत-कलश हासिल करने के लिए एक खूबसूरत कन्या मोहिनी का रूप धरा और दानवों को अपने रूपजाल में फंसाकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. जिससे सारे देवता अमर हो गये. मान्यता है कि जिस दिन विष्णुजी ने मोहिनी का रूप धरा था, वह वैशाख शुक्लपक्ष की एकादशी का दिन था.

 

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