मोहिनी एकादशीः आज 15 मई को संपूर्ण देश मोहिनी एकादशी मना रहा है. पुराणों में वर्णित है कि कार्तिक मास की एकादशी की तरह ही वैशाख मास की एकादशी भी काफी पुण्यदायी माना जाता है. एकादशी भगवान विष्णु जी का दिन माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन विष्णु जी ने समुद्र-मंथन से निकले अमृत कलश को राक्षसों से बचाने के लिए एक खूबसूरत स्त्री का रूप धरा था. अपनी मोहिनी मुस्कान का जादू चलाकर मोहिनी ने यह अमृत देवताओं में बांट दिया था, जिससे देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से भक्त मोह माया से ऊपर उठ जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है चूंकि यह सारा घटनाक्रम हुआ इस कारण इस एकादशी को ‘मोहिनी एकादशी’ कहते हैं.
कैसे करें पूजा.
सर्वप्रथम जल में हल्दी डालकर स्नान कर, सूर्य भगवान को नमस्कार करें. पूरे दिन व्रत रहते हुए पूजा करें. व्रत करने वाले को दशमी से ही नियमों का पालन करना चाहिए. दशमी के दिन मात्र एक समय सात्विक भोजन करें. दशमी से एकादशी तक ब्रह्मचर्य का पालन करना भी जरूरी है. अब एक छोटी चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की तस्वीर अथवा प्रतिमा की स्थापना करें. विष्णु भगवान को दाएं हाथ से पीले रंग का फल, फूल और मिष्ठान के साथ 11 केले और शुद्ध केसर चढाएं. गाय के घी का दीपक जलायें. आसन पर बैठकर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें.जाप के पश्चात नारायण स्तोत्र का तीन बार पाठ करें. अगर संभव हो को एकादशी से लेकर अगले 21 दिनों तक नारायण स्तोत्र का पाठ करें. इसके पश्चात पूजा के फलों को गरीब बच्चों में बांट दें. इसके साथ ही मोहिनी एकादशी की कहानी खुद सुनें और दूसरों को भी सुनाएं. यह भीं पढ़े-Ekadashi Vrat In Year 2019: एकादशी के दिन व्रत करने पर बेहद प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की पूरी लिस्ट
मोहिनी एकादशी का महत्व.
पौराणिक कथाओं में मोहिनी एकादशी का माहात्म्य बहुत अधिक बताया गया है. कहते हैं कि त्रेता युग में मोहिनी एकादशी के दिन ही माता सीता के विरह से पीड़ित श्री राम जी ने पूरे विधि-विधान से एकादशी का व्रत किया था. और उन्हें अभीष्ठ लाभ प्राप्त हुआ. इसके बाद द्वापर युग में भी महाभारत काल में जब अपनों से युद्ध करते हुए युधिष्ठिर तमाम तरह के दुःख महसूस कर रहे थे, तब उन्होंने भी मोहिनी एकादशी का व्रत किया था, जिसके बाद उनके मन को दिव्य शांति का अहसास हुआ था.
मोहिनी एकादशी 2019 तिथि व मुहूर्त.
एकादशी तिथिः 15 मई 2019
एकादशी तिथि आरंभः 12:59 बजे (14 मई)
एकादसी तिथि समाप्तः 10:36 बजे (15 मई)
पारण का समयः 05:28 से 08:02 बजे तक (16 मई)
मोहिनी एकादशी की कथा
प्राचीनकाल में भद्रावती नामक एक खूबसूरत नगर में धृतिमान नामक राजा राज्य करता था. वह ईश्वर को बहुत मानता था. उसके राज्य में प्रजा भी काफी धार्मिक प्रवृत्ति की थी. इसी नगर में धनपाल नामक एक व्यापारी भी रहता था. धनपाल विष्णु जी के परम भक्त थे. विष्णु जी के आशीर्वाद से उनकी पांच की संतान थीं. इनमें सबसे छोटे पुत्र का नाम धृष्टबुद्धि था. जैसा नाम वैसी ही उसकी प्रवृत्ति भी थी. अन्य चारों पुत्र पिता के पदचिह्नों पर चलनेवाले थे.
उधर दुनिया का कोई भी ऐसा बुरा कार्य नहीं था, जो धृष्टिबुद्धि ने नहीं किया हो. उसके बुरे कर्मों से तंग आकर पिता और भाइयों ने धृष्टिबुद्धि से अपने सारे रिश्तें तोड़ लिये थे. इसका परिणाम यह हुआ कि धृष्टिबुद्धि सड़कों पर आ गया. उसे खाने तक को लाले पड़ गये. अंततः उसे अपनी गलतियों का अहसास हुआ. वह भटकते-भटकते कौण्डिल्य ऋषि के आश्रम में पहुंचकर महर्षि के चरणों में गिर पड़ा. पश्चाताप की अग्नि में जलते हुए वह कुछ-कुछ पवित्र भी होने लगा था.
महर्षि को अपनी पूरी व्यथा बताई और पश्चाताप करने का उपाय पूछा. उस समय ऋषि मुनि शरणागत का मार्गदर्शन करते और भक्त को भी मोक्ष प्राप्ति के उपाय बता देते. ऋषि ने बताया कि वैशाख शुक्ल की एकादशी का उपवास करो, तुम्हें मुक्ति मिलेगी. धृष्टबुद्धि ने महर्षि की बताई विधिनुसार वैशाख शुक्ल एकादशी यानि मोहिनी एकादशी का उपवास किया. इसके बाद उसे पापकर्मों से छुटकारा मिला और मोक्ष की प्राप्ति हुई.