Mauni Amavasya 2020: कब है मौनी अमावस्या? क्या है इसका मूल ध्येय! जानें इस दिन स्नान-दान का महात्म्य एवं शुभ मुहूर्त!
गंगा स्नान (Photo Credits: Facebook)

Mauni Amavasya 2020: पौराणिक ग्रंथों में माघ मास सर्वाधिक पवित्र माह बताया गया है. धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन से द्वापर युग प्रारंभ हुआ था. माघ मास में अमावस्या दिवस का विशेष महात्म्य होता है. इस दिन गंगा अथवा अन्य पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान से विशेष पुण्यलाभ की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन गंगा-जल अमृत बन जाता है. इसलिए माघ मास में स्नान के लिए मौनी अमावस्या का दिन खास माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान के बाद उपवासी को ऋषि-मुनियों की भांति मौन व्रत धारण करना पड़ता है. इसीलिए इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह त्यौहार 24 जनवरी 2020 को है. यह भी पढ़ें: Mauni Amavasya 2019: मौनी अमावस्या पर बना है यह दुर्लभ संयोग, जानिए इस दिन मौन रहना और गंगा में डुबकी लगाना क्यों माना जाता है खास

मौनी अमावस्या का महात्म्य

मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं इसलिए यह दिन एक संपूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है. मान्यता है कि इसी दिन महर्षि मनु का जन्म हुआ था. इस वजह से भी इस दिन को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. वेद-पुराणों के मुताबिक माघ मास में नदी स्नान एवं पूजा-अर्चना करने वाले को मोक्ष के साथ बैकुण्ठ में स्थान मप्राप्त होता है. उन पर श्रीहरि की विशेष कृपा होती है. गंगा जल का इतना महात्म्य होता है कि अगर कोई विवशतावश गंगा नदीं में स्नान में असमर्थ है और वह घर पर ही स्नान करने के बाद किसी तरह का पूजा-अनुष्ठान करना चाहता है तो वह घर के पानी में थोड़ी-सी मात्रा गंगा जल की मिला कर स्नान कर ले तो उसे गंगा-स्नान का पूरा पुण्य प्राप्त हो जाता है. विद्वानों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन स्नान के पश्चात सूर्य देव को लोटे में जल, अक्षत एवं लाल पुष्प से अर्घ्य देने से घर की दरिद्रता दूर होती है.

मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त

अमावस्या प्रारंभः 24 जनवरी 2020 को प्रातःकाल 02.17 मिनट से

अमावस्या समाप्त- 25 जनवरी 2020 प्रातःकाल 03.11 मिनट तक

मौनी अमावस्या के दिन क्या करें?

माघ मास के अमावस्या के दिन गंगा, नर्मदा, सिंधु, कावेरी सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान, दान, जप, अनुष्ठान करने से तमाम पापों का निवारण हो जाता है. मान्यता तो यह भी है कि इस दिन ब्रह्मदेव एवं गायत्री माता का पूजन भी अभीष्ठ फलदायी वाला होता है. अमावस्या के दिन सांवली तुलसी का अगर 108 परिक्रमा कर लिया जाये तो श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार जिन जातक का चंद्रमा कमजोर चल रहा है, उसे गाय को दही और चावल खिलायें तो मानसिक रूप से शांति प्राप्त होती है. इसके साथ-साथ अगर स्नान-दान के पश्चात सूर्य मंत्र, जाप, सिद्धि साधना कर पूरे दिन मन ही मन ईश्वर को ध्यान में रखते हुए मौन व्रत धारण कर लिया जाये तो अपार पुण्य के साथ ईश्वर का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मौनी अमावस्या पर मौन रहने का महत्व

इस दिन व्यक्ति विशेष को मौन व्रत रखने का भी विधान रहा है. इस व्रत का आशय भी यही है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए. धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है. कई लोग इस दिन से मौन व्रत रखने का प्रण करते हैं. अब यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह कितने समय के लिए मौन व्रत रखना चाहता है. कई व्यक्ति एक दिन, कोई एक महीना और कोई व्यक्ति एक वर्ष तक मौन व्रत धारण करने का संकल्प कर सकता है.

इस दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद गरीबों अथवा ब्राह्मणों को दान देने का विशेष महत्व होता है. इस दिन तिल, तेल , लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े एवं जूते आदि दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है.