Martyrs' Day 2023 Messages in Hindi: 'दे दी हमें आजादी बिन खड़ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल…' जी हां, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. देश की आजादी के कुछ महीनों बाद यानी 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने उनकी हत्या कर दी थी. 30 जनवरी भारत के इतिहास का वो काला दिन है, जब सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, इसलिए हर साल इस दिन को शहीद दिवस (Martyrs' Day) के तौर पर मनाया जाता है. इस साल महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. बताया जाता है कि इसी शाम करीब 5.17 बजे महात्मा गांधी दिल्ली के बिड़ला भवन में संध्या की प्रार्थना के लिए जा रहे थे, उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने पहले उनके चरण स्पर्श किए, फिर अपनी पिस्टल से एक के बाद एक तीन गोलियां उनके सीने पर चला दी.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजीवन सत्य और अहिंसा के धर्म का पालन किया. बापू ने देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. ऐसे में पुण्यतिथि के अवसर पर हर कोई बापू को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है. आप भी शहीद दिवस पर इन मैसेजेस, कोट्स, जीआईएफ, फोटो एसएमएस और वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन कर सकते हैं.
1- बस जीवन में ये याद रखना,
सच और मेहनत का सदा साथ रखना,
बापू तुम्हारे साथ हैं हर बच्चे के पास हैं,
सच्चाई जहां भी है वहां उनका वास है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन
2- सत्य अहिंसा के थे वो पुजारी,
कभी ना जिसने हिम्मत हारी,
सौंप दी हमें आजादी,
जन जन है जिसका आभारी.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन
3- आंख पर ऐनक, हाथ में लाठी,
बापू चलते सीना ताने शान से,
दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग-ढाल के,
साबरमती के संत मेरे बापू हैं कमाल के.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन
4- खादी मेरी शान है,
कर्म ही मेरी पूजा है,
सच्चा मेरा कर्म है,
और हिंदुस्तान मेरी जान है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन
5- देश के लिए किया सब कुछ त्याग जिसने,
देशभक्ति के लिए छोड़ा विलास जिसने,
पहन काठ की चप्पल आया एक महात्मा,
जो बन गया इस भारत की आत्मा.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन
गौरतलब है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के मामले में नाथूराम गोडसे समेत कुल 9 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिसमें से नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा दी गई थी. इस मामले में बचे बाकी अभियुक्तों में विनायक दामोदर सावरकर को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था और 6 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.