Krishna Janmashtami 2020 Aarti: आज संपूर्ण भारत में कृष्ण-जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की धूम मची हुई है. इस अवसर पर लगभग हर हिंदू घरों में बच्चों से लेकर वृद्ध तक सभी श्रीकृष्ण (Lord Krishna) के नाम का व्रत रखते हैं. कई घरों में श्रीकृष्ण जी के नाम पर अखण्ड कीर्तन एवं भजनों का आयोजन भी होता है, जिसमें भारी संख्या में लोग उपस्थिति होते हैं. मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण जी के जन्म के उपरांत भी तरह-तरह के आयोजन किये जाते हैं.
सनातन धर्म में मान्यता है कि आप किसी भी देवी-देवता की पूजा, अनुष्ठान, कीर्तन अथवा आह्वान करें तो उसकी पूर्णता अमुक देवता की आरती (Aarti) किये बिना अधूरी मानी जाती है. इसलिए प्रसाद वितरण के पूर्व आरती गान आवश्यक होता है. हमारे धर्म पुराणों में हर आरती की अपनी-अपनी महिमा और प्रभाव बताया गया है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उपवासी अगर श्रीकृष्ण की आरती गायन करता है तो उसके सारे संकट दूर होते हैं, बिगड़े कार्य पूरे होते हैं. उसके घर सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है.
आरती का महत्व इसलिए भी होता है कि आरती में अमुक देवी देवता का वृहद चरित्र का उल्लेख रहता है. श्रीकृष्ण भगवान की कई आरतियां हैं, मगर निम्न आरती की महिमा आप इसका गायन करके ही समझ सकते हैं कि अनुष्ठान का समापन आरती से क्यों किया जाता है. यहां हम श्रीकृष्ण के एक अतिलोकप्रिय आरती (Shri Krishna Aarti)...' प्रस्तुत कर रहे हैं...
श्रीकृष्ण जी की आरती
आरती कुंज बिहारी की कि गिरधर कृष्ण मुरारी की...'
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद,
कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की ॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की..
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श्रीमद्भगवद् के अनुसार द्वापर युग में आज के ही दिन यानी भाद्रपद की अष्टमी को भगवान विष्णु माता देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे. इसलिए आज के दिन देश-विदेश में मध्यरात्रि के समय श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा का विधान है. जैसे ही रात के बाहर बजते हैं, बाल श्रीकृष्ण की प्रतिमा को पहले पंचामृत इसके बाद गंगाजल से स्नान कराया जाता है. यह भी पढ़ें: Krishna Janmashtami 2020: कृष्ण जन्माष्टमी का है हिंदू धर्म में खास महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
तत्पश्चात खूबसूरत परिधान पहनाकर संपूर्ण श्रृंगार किया जाता है. इस दरम्यान जगह-जगह श्रीकृष्ण भगवान के जन्म लेने की खुशी में पटाखे फोड़े जाते हैं, कहीं-कहीं खूबसूरत आतिशबाजियां छुड़ाई जाती हैं, तो कहीं कृष्ण लीलाओं का आयोजन किया जाता है. अधिकांश जगहों पर श्रीकृ्ष्ण जन्मोत्सव के पश्चात भगवान श्रीकृ्ष्ण का षोडशोपचार विधि से पूजा-अर्चना की जाती है. अंत में बाल श्रीकृष्ण जी की आरती गाकर उन्हें प्रसन्न किया जाता है.