Karwa Chauth 2023 Date: करवा चौथ और भगवान गणेशजी को समर्पित संकष्टि चतुर्थी एक दिन होने से हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है. महिलाओं का सबसे प्रमुख व्रत होता है. पूर्व में करवा चौथ का व्रत पति की सलामती के लिए सुहागन स्त्रियां व्रत रखती थीं, लेकिन बाद में कुंवारी लड़कियों ने भी अच्छे वर की कामना हेतु यह व्रत रखना शुरू किया. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हुए शाम को शिव परिवार (भगवान शिव, माता पार्वती और इनके गणेशजी और स्वामी कार्तिकेयजी) की पूजा करती हैं. सूर्यास्त के पश्चात चंद्रोदय होने पर चंद्र दर्शन एवं अर्घ्य देने के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है. करवा चौथ की भिन्न-भिन्न जगहों पर भिन्न-भिन्न प्रथाएं देखने को मिलती हैं. यह व्रत मुख्यतया उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश रखा जाता है. आइये जानें करवा चौथ व्रत के महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र एवं विधि के बारे में..
क्यों है करवा चौथ का महात्म्य
मान्यतानुसार करवा चौथ व्रत की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है. महाभारत युद्ध से पूर्व द्रौपदी को पांडवों की सुरक्षार्थ चिंतित देखकर श्रीकृष्ण ने उन्हें करवा चौथ व्रत का सुझाव दिया था. द्रौपदी की आस्था के अनुसार करवा चौथ व्रत के कारण उनके पांचों पांडव सुरक्षित जीत हासिल कर लौटे थे, कहते हैं, तभी से सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु हेतु करवा चौथ व्रत रख रही हैं. मान्यता है कि जो सुहागन महिलाएं इस दिन निर्जल व्रत रखते हुए भगवान शिव एवं उनके परिवार की पूजा-अर्चना करती हैं, उन्हें भगवान शिव की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है, तथा उनका दाम्पत्य जीवन खुशहाल एवं स्नेह-प्रेम से भरा रहता है.
करवा चौथ मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त
चतुर्थी प्रारंभः 09.30 PM (31 अक्टूबर 2023, मंगलवार)
चतुर्थी समाप्तः 09.19 PM (01 नवंबर 2023, मंगलवार)
करवा चौथ पूजा मुहूर्तः 05.36 PM से 06.54 PM (अवधि 1 घंटा 18 मिनट)
करवा चौथ व्रत का समयः 06.33 AM से 08.15 PM (कुल अवधि 13 घंटे 42 मिनट)
चंद्रोदयः 08.15 PM
करवा चौथ व्रत एवं पूजा के नियम
करवा चौथ व्रत सायंकाल के समय किया जाता है, लेकिन व्रत रखने वाली महिलाओं को करवा चौथ के दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर निर्जल व्रत एवं पूजन का संकल्प लें. यहां बता दें कि गर्भवती महिला अथवा किसी रोग से पीड़ित महिलाओं के लिए निर्जल उपवास आवश्यक नहीं होता, वे फलाहार रह सकती हैं. संध्याकाल से पूर्व व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार करके किसी एक स्थान पर एकत्र होती हैं. वहां वे समूह में भगवान शिव एवं उनके परिवार की पूजा करती हैं. पूजा के समय महिलाएं अपनी थालियां एक दूसरे से बदलती हैं. भगवान शिव एवं उनके परिवार की प्रतिमा के सामने धूप-दीप प्रज्वलित करें. अब भगवान शिव एवं पार्वती को पुष्प, रोली, इत्र, पान, सुपारी एवं पुष्प अर्पित करें. पूजा के पश्चात शिवजी की आरती कर पूजा करें. करवा चौथ व्रत की पौराणिक पढ़ें अथवा सुनाएं. इसके पश्चात चंद्र दर्शन होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य् देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करें.