पितृ पक्ष में पड़ने के कारण इंदिरा एकादशी व्रत का एक विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन श्रीहरि (भगवान विष्णु) का व्रत एवं पूजा का विधान है. पद्म पुराण में वर्णित है कि श्राद्ध के दिनों में श्रीहरि की पूजा करने से पित्तर संतुष्ट एवं तृप्त होकर पितृलोक को लौटते हैं, जिससे उनकी संतान खुशहाल रहती है. इस दिन श्रीहरि का व्रत एवं पूजा के अलावा गरीबों अथवा जरूरतमंदों का दान भी दिया जाता है. इस वर्ष 10 अक्टूबर 2023, दिन मंगलवार को इंदिरा एकादशी व्रत रखा जाएगा. आइये जानें क्या है इंदिरा एकादशी पर व्रत, पूजा एवं पित्तरों को प्रसन्न करने के नियम. यह भी पढ़ें: Jitiya Vrat 2023: कब है जीवित्पुत्रिका व्रत? जानें संतान-प्राप्ति के सर्वाधिक कठिन व्रत का मुहूर्त, पूजा विधि एवं व्रत कथा!
इंदिरा एकादशी व्रत एवं पूजा के नियम
साल की अन्य एकादशियों की तरह इंदिरा एकादशी पर भी पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन इंदिरा एकादशी पर श्रीहरि के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर श्रीहरि के व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. अगर पितरों की पूजा करना है तो उनकी पूजा एवं अन्य अनुष्ठान का भी संकल्प लें. अब मंदिर में स्थित भगवान शालिग्राम की प्रतिमा को पहले पंचामृत फिर गंगाजल से स्नान करायें. अब उन्हें पीतांबर पहनाएं और धूप-दीप प्रज्वलित कर निम्न मंत्र का
उच्चारण करते हुए पूजा की शुरूआत करें.
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
भगवान शालिग्राम को अबीर, गुलाल, अक्षत, रोली, यज्ञोपवीत, कलाईनारा, तुलसी दल एवं इत्र अर्पित करें. भोग में मौसमी फल एवं मिष्ठान चढ़ाएं. पंचामृत में तुलसी दल डालें. अब भगवान शालिग्राम की आरती उतारें और लोगों को प्रसाद का वितरण करें.
पद्म पुराण के अनुसार करें पित्तरों की पूजा और दान
पितृपक्ष के दिन इंदिरा एकादशी पड़ने से इस एकादशी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इस दिन व्रत रखें और पित्तरों के नाम पर गरीबों को दान दें और तर्पण करें. मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा करने और पित्तरों के नाम पर दान-धर्म एवं तर्पण करने से तीन पीढ़ियों तक के पूर्वजों को मोक्ष मिलता है, और मृत्योपरांत बैकुंठधाम की प्राप्ति होती है. पद्म पुराण के अनुसार इंदिरा एकादशी के दिन श्रीहरि की पूजा और पित्तरों को तर्पण देने से हजारों वर्ष की तपस्या से मिलनेवाला पुण्य प्राप्त होता है. इंदिरा एकादशी आश्विन मास में पड़ता है, इस मास में शुद्ध घी, दूध, दही और अन्न-दान करने तथा भूखों को भोजन खिलाने से पित्तर प्रसन्न होते हैं, सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. गृहस्थ जीवन मंगलमय बना रहता है. हर मनोकामना पूरी होती है