Independence Day 2021: 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर स्कूली बच्चों के लिए एक प्रेरक मगर वर्चुअल स्पीच!
स्वतंत्रता दिवस (Photo Credits Fiiles)

Independence Day 2021: मान्यवर, मुख्य अतिथि, प्रधानाचार्य, अध्यापक बंधुओं एवं प्यारे बच्चों, सर्वप्रथम इस राष्ट्रीय महापर्व पर आप सभी को आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर हार्दिक अभिनंदन. आज इस महोत्सव पर इस 'विचित्र' तरीके से राष्ट्रीय महापर्व पर बात करते हुए अजीब-सा महसूस हो रहा है. ‘विचित्र’ शब्द से आशय यह ‘वर्चुअल’ माध्यम है... दरअसल कोरोना की महामारी ने पूरी दुनिया को जड़ कर दिया है. हमें उम्मीद है, कि थोड़ा-सा एहतियात बरतते हुए हम बहुत जल्दी इस महामारी का समूल नाश कर खुली हवा में सांस ले सकेंगे.

मित्रों, स्वतंत्रता दिवस का यह महोत्सव हम सभी के लिए बहुत मायने रखता है. आज हम जिस आजाद हवा में सांस ले रहे हैं, हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि इसके लिए हमारे क्रांतिकारियों ने क्या-क्या सहा है. ब्रिटिश हुकूमत की नृशंस, दमनात्मक एवं कुटिल नीतियों का सामना करते हुए हमारे वीर क्रांतिकारियों ने अपना खून बहाया है, छोटी-छोटी उम्र में शहादतें दे दी, हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये. आज दिवस है उन महान क्रांतिकारियों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने का. यह भी पढ़े:  Independence Day 2021: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- 75 वर्ष का सफर हम भारतीयों के परिश्रम का परिचायक है

लगभग दो सौ सालों तक ब्रिटिश शासन के क्रूर एवं दमनात्मक रवैयों से लड़ने-जूझने के बाद 15 अगस्त 1947 में हमें पूर्ण स्वतंत्रता मिली. अपने राष्ट्र और मातृभूमि में सारे मूलभूत अधिकार मिले. हमें अपने सौभाग्य पर गर्वान्वित होना चाहिए कि हम महान भारत की इस मिट्टी में पैदा हुए हैं. हम जब गुलाम भारत का इतिहास पढ़ते हैं तो हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

साल 1857 से 1947 तक कई दशकों तक हमारे क्रांतिवीरों ने अथक एवं निरंतर संघर्ष कर हमें आजादी दिलाई. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सर्वप्रथम बलिया (उत्तर प्रदेश) में जन्में मंगल पांडे ने मेरठ में आवाज उठाते हुए ‘फिरंगियों को मारो’ का नारा बुलंद किया था. अंग्रेजों ने उन्हें फांसी पर चढ़ाकर आजादी की आवाज को दबाने की पुरजोर कोशिश की, मगर जाते-जाते मंगल पांडे की आजादी के नारे भारतीयों की रगों में दौड़ चुके थे. जल्दी ही आजादी की यह लपट दावानल की तरह पूरे हिंदुस्तान में फैल गयी.

आजादी की इस लड़ाई में कितने क्रांतिकारियों ने शिरकत की, शहादत दी, इसकी कोई ज्ञात संख्य नहीं है. चंद्रशेखर आजाद, खुदी राम बोस, भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, राम प्रसाद बिस्मिल, दुर्गावती देवी, बीना दास... ना जानें कितने नाम हैं. कुछ को हम जानते हैं, ज्यादा के बारे में अनजान हैं. हमें फख्र है कि आज जब पूरा देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुमनाम हो चुके क्रांतिवीरों को सम्मानित करने के लिए उन्हें देश की मुख्य धारा से जोड़ने की घोषणा की है

साथियों, आजादी के इस महापर्व पर हम आजाद भारत के खूनी बंटवारे के दंश को चाहकर भी नहीं भुला सकते, जब हजारों-लाखों निरीह एवं मासूम लोगों का कत्ले-आम कर दिया गया. एक बार फिर यह बताते हुए असीम खुसी महसूस हो रही है कि 'बंटवारे में विस्थापित होने वाले और जान गंवाने वाले लाखों भाई-बहनों के संघर्ष और बलिदान की याद में प्रधानमंत्री ने 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाने का फैसला किया है.

वक्‍त के साथ-साथ हिंदुस्तान ने विध्‍वंस और निर्माण की कहानी को अपने जिस्‍म पर बखूबी उकेरा है. हिंदुस्तान अभी बंटवारे के दंश से उबरा भी नहीं था कि उसे युद्ध की विभीषिका में धकेल दिया गया. हम विजय तो हुए, मगर कई बहादुर सिपाहियों को गंवाकर. इस दरम्यान देश ने इमरजेंसी की दहशत देखी तो आतंकवाद के खूनी पंजों को भी झेला. मगर हम कभी हारे नहीं, थके नहीं.. हम एक के बाद उपलब्धियां भी हासिल करते रहे.

बीते 75 सालों में हिंदुस्तान विज्ञान, चिकित्सा, खेल, फिल्म जगत समेत कई क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर चुका है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अटूट पहचान बनाने के बाद, आज हिंदुस्तान अंतरिक्ष पर भी राज कर रहा है. कोरोना की महामारी में विश्व में अकेला हिंदुस्तान ही ऐसा देश है, जिसने सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन किया. लेकिन एक स्वतंत्र देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमें आंख, नाक कान सब खुला रखते हुए हर विपरीत परिस्थितियों से दो-चार होने के लिए हर वक्त, हर घड़ी तैयार रहना चाहिए. वर्तमान में हिंदुस्तान विश्व की चौथी सबसे बड़ी शक्ति है, हमें नंबर एक पर पहुंचना है, एक सशक्त मगर शांतिप्रिय और सच्चा मित्र देश बनने की दिशा में.