Holika Dahan 2022 Messages in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली (Holi) मनाई जाती है. यह एक ऐसा त्योहार है, जिसका इंतजार हर किसी को बड़ी ही बेसब्री से रहता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली यानी धुलंडी (Dhulendi) का त्योहार मनाते हैं. हालांकि रंगों वाली होली से ठीक एक दिन पहले छोटी होली यानी होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है और आज यानी 17 मार्च को होलिका दहन (Holika Dahan) का त्योहार मनाया जा रहा है, जबकि अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाएगी. हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. इस दिन सूर्यास्त के बाद होलिका जलाई जाती है, लेकिन अगर इस बीच भद्राकाल हो तो इसके खत्म होने के बाद ही होलिका दहन करना चाहिए. मान्यता है कि भद्राकाल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं.
होली और होलिका दहन के त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी स्थानीय मान्यताओं व परंपराओं के अनुसार मनाते हैं. बुराई पर अच्छाई के जीत के पर्व होलिका दहन पर लोग शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी करते हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप भी अपने प्रियजनों संग इन हिंदी मैसेजेस, शायरी, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस को भेजकर हैप्पी होलिका दहन कह सकते हैं.
1- अन्याय पर न्याय की विजय,
बुराई पर हुई अच्छाई की जीत,
आओ एक साथ मिलकर मनाएं,
हम सब होलिका दहन का त्योहार.
हैप्पी होलिका दहन
2- होली पर सब लोगों के गम जल जाएं,
हर किसी के जीवन में खुशियां आए,
आओ हम सब मिलकर,
प्यार से होलिका दहन का पर्व मनाएं.
हैप्पी होलिका दहन
3- जिस तरह से होलिका दहन में,
समस्त बुराइयां नष्ट हो जाती हैं,
आइए हम भी संकल्प लें कि हम,
अपने भीतर छिपी बुराइयों का दहन करेंगे.
हैप्पी होलिका दहन
4- जीत हुई सच्चाई की,
हार हुई बुराई की,
मेरी तरफ से आपको,
होलिका दहन की बधाई.
हैप्पी होलिका दहन
5- होलिका जली है यानी नहीं रही बुराई,
बच गए प्रह्लाद यानी अखंड है सच्चाई.
हैप्पी होलिका दहन
होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा हुआ करता था, जिसे अपने शक्तिशाली होने का इतना ज्यादा अहंकार था कि वो खुद को ईश्वर मानने लगा था. यहां तक कि उसने अपने राज्य में भगवान का नाम लेने तक पर पाबंदी लगा दी थी, लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद श्रीहरि के परम भक्त थे. अपने बेटे की भक्ति को देखकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वो प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ जाए. दरअसल, होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान प्राप्त था, लेकिन जब वो प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठी तो खुद ही भस्म हो गई और प्रह्लाद की स्वयं भगवान विष्णु ने रक्षा की.