Holi 2021: भारत में इन जगहों पर लोग नहीं खेलते हैं होली, इसके पीछे के रहस्य को जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
होली 2021 (Photo Credits: File Image)

Holi 2021: होली (Holi) एक ऐसा त्योहार है, जिसका हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली (Holi Celebration) खेली जाती है. होली के दिन लोग रंग-बिरंगे रंगों से होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन हर किसी पर रंगों की खुमारी छाई रहती है, लोग नाचते-गाते हुए रंगों का यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. वैसे तो देश के हर कोने में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन भारत में कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां होली के नाम से ही लोग डरते हैं और होली खेलने से बचते हैं. चलिए जानते हैं भारत में किन जगहों पर लोग होली खेलने से बचते हैं और इसके पीछे क्या रहस्य है.

बोकारो जिले का दुर्गापुर गांव, झारखंड

झारखंड के बोकारो जिले के दुर्गापुर गांव में लोग होली के नाम से ही घबराते हैं और होली के दिन गलती से भी एक-दूसरे को रंग नहीं लगाते हैं. यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस गांव को राजा दुर्गदेव ने बसाया था, उनके शासन के दौरान होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था, लेकिन कुछ समय बाद राजा के बेटे की मौत होली के दिन ही हो गई थी. माना जाता है कि राजा के बेटे की मौत के बाद जब भी लोगों ने होली का आयोजन किया, तो उन्हें भयंकर सूखे और महामारी का सामना करना पड़ता था, जिससे गांव में कई लोगों की मौत हो जाती थी. यह भी पढ़ें: Holi 2021:  होलिका-दहन के दिन कुछ ऐसा करें ये काम, सारी समस्याओं का होगा समाधान

माना जाता है कि होली के दिन ही रामगढ़ में राजा दलेल सिंह के साथ युद्ध के दौरान राजा दुर्गादेव की मौत हो गई, जिसकी खबर सुनते ही रानी ने भी खुदकुशी कर ली थी. कहा जाता है कि अपनी मौत से पहले राजा ने अपनी प्रजा को कभी होली न मनाने का आदेश दिया था, जिसके कारण यहां सदियों से होली नहीं खेली जाती है.

रायबरेली का खजूरी गांव, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के रायबरेली के खजूरी गांव में होली के दिन लोग रंग खेलने के बजाय शोक मनाते हैं. माना जाता है कि खजूरी गांव के किले को मुगल शासकों ने होली के दिन ही तबाह कर दिया था, जिसके चलते सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी. तब से आज तक यहां होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है.

क्वीला, कुरझण और जौंदली गांव, उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड के क्वीली, कुरझण और जौंदली गांव में पिछले 150 सालों से होनी नहीं खेली जा रही है. इन गांवों में होली न मनाए जाने को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि इन गांवों की इष्टदेवी मां त्रिपुर सुंदरी देवी हैं, जिन्हें हुड़दंग पसंद नहीं है. इसके अलावा कहा जाता है कि इन गांवों में डेढ़ सौ साल पहले लोगों ने होली मनाने की कोशिश की थी तो यहां के लोग हैजा की चपेट में आ गए थे, तब से यहां लोग होली खेलने से बचते हैं. यह भी पढ़ें: Holi 2021: होली में विभिन्न ग्रहों के योग इन सात राशियों के जीवन में भरेंगे खुशियों के रंग

चोवाटिया जोशी जाति के लोग, राजस्थान

राजस्थान में ब्राह्मण समुदाय के चोवाटिया जोशी जाति के लोग होली मनाने से बचते हैं. कहा जाता है कि काफी समय पहले इसी जाति की एक महिला का बेटा होलिका में गिर गया था, जब वह होलिका की पवित्र अग्नि के फेरे ले रही थी. कहा जाता है कि बेटे को बचाने की कोशिश करते समय महिला की भी मौत हो गई. हालांकि मरते समय महिला ने कहा था कि इस जाति के लोग अब से होली नहीं मनाएंगे. तब से इस जाति के लोग होली का त्योहार नहीं मनाते हैं.