Holi 2019: रंगों का त्योहार होली (Festival of Colors Holi) 21 मार्च को देश भर में मनाया जाएगा. वैसे तो होली (Holi) हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में शुमार है, बावजूद इसके इस खास मौके पर सभी धर्मों के लोग एकता के रंग में रंगे हुए नजर आते हैं. लोग गिले-शिकवे भुलाकर होली का त्योहार मिलकर मनाते हैं. हालांकि होली से एक पहले होलिका दहन (Holika Dahan) किया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है. इस बार होलिका दहन 20 मार्च को किया जाएगा. हालांकि इस दिन सुबह 10.45 बजे से रात 8.59 बजे तक करीब 10 घंटे तक भद्रा (Bhadra) रहेगी, इसलिए होलिका दहन का पूजन रात 9 बजे के बाद किया जाएगा.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान पूजा और दूसरे शुभ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है. वहीं ज्योतिषीयों की मानें तो भद्रा में पूजन काल के समय उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में से कोई भी एक नक्षत्र हो तो भद्रा दोष नहीं लगता है. चलिए जानते हैं आखिर क्या होती है भद्रा और उसे क्यों अशुभ माना जाता है?
शनिदेव की बहन हैं भद्रा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा ग्रहों के राजा सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं. भद्रा का स्वभाव काफी उग्र है. बताया जाता है कि उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना यानी पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया. भद्रा काल के दौरान भले ही शुभ कार्यों को करना निषेध माना जाता है, लेकिन इस काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनीतिक चुनाव कार्य सफलता देने वाले माने गए हैं.
क्या भद्रा का महत्व?
हिंदू धर्म के पंचांग में भद्रा का खास महत्व बताया गया है. वैसे तो भद्रा का शाब्दिक अर्थ कल्याण करने वाली बताया जाता है, लेकिन इस अर्थ के विपरित भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं. भद्रा अलग-अलग राशियों के अनुसार तीनों लोकों में घूमती हैं और जब यह मृत्युलोक में होती हैं, तब इन्हें शुभ कार्यों में बाधक या उसका अशुभ फल देने वाली मानी गई है. यह भी पढ़ें: Holi 2019: 21 मार्च को मनाया जाएगा रंगों का त्योहार होली, जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े नियम
दरअसल, जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में विचरण करते हैं तब भद्रा विष्टि करण का योग बनता है. इस दौरान भद्रा पृथ्वीलोक में रहती हैं. इस काल को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. गौरतलब है कि 20 मार्च को भद्राकाल के खत्म होने पर रात 9 बजे के बाद होलिका दहन की पूजा की जाएगी और उसके अगले दिन 21 मार्च को रंगों की होली जाएगी.