Hariyali Amavasya 2023: काल-सर्प, पितृ-दोष एवं धन-संकट से मुक्ति के लिए ऐसे करें शिव जी की पूजा एवं अचूक उपाय!
हरियाली अमावस्या (Photo: File Image)

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से मनाया जाता है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को पांच तरह के पौधे अवश्य लगाने चाहिए, जिससे पितृदोष, शनिदोष, कालसर्प एवं एवं कुंडली के अन्य दोषों से मुक्ति मिलती है, इसलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है. हिंदू धर्म के लोगों के लिए यह दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि के लिए बहुत उपयोगी एवं कारगर माना जाता है. इस दिन लोग गंगा-स्नान, दान-पुण्य एवं ईश्वर-भजन आदि करते हैं. इस वर्ष हरियाली अमावस्या 17 जुलाई 2023, सोमवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं. आइये जानें हरियाली अमावस्या के बारे में विस्तार से. यह भी पढ़ें: Sawan Shivratri 2023: कब है श्रावण शिवरात्रि व्रत? जानें मूल तिथि, महत्व, मुहूर्त औ पूजा के नियम!

हरियाली अमावस्या की मूल तिथि

श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या प्रारंभः 10.08 PM (15 जुलाई 2023, शनिवार)

श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या समाप्तः 12.01 PM (17 जुलाई 2023, रविवार)

उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष हरियाली अमावस्या 17 जुलाई, 2023 रविवार को मनायी जाएगी.

हरियाली अमावस्या पर ऐसे करें पूजा-अनुष्ठान

श्रावण कृष्ण पक्ष की अमावस्या को स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें. यह दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती को समर्पित माना जाता है, इसलिए उन्हीं का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. मंदिर के समक्ष एक स्वच्छ चौकी रखकर उस पर स्वच्छ लाल अथवा पीला वस्त्र बिछाएं. इस पर गंगाजल छिड़ककर भगवान शिव एवं माता पार्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्जवलित करें. भगवान शिव के इस मंत्र का उच्चारण करें.

 ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात.’

भगवान शिव एवं माता पार्वती को पुष्प, बेल, सफेद चंदन, तथा माता पार्वती को सुहाग की मुख्य वस्तुएं लाल चुनरी, हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी आदि अर्पित करें. भोग में मालपुआ एवं फल चढ़ाएं. अब भगवान शिव एवं माता पार्वती की आरती उतारें. इसके पश्चात सुहागन को सुहाग सामग्री दान दें, और घर के बाहर तुलसी समेत पांच पौधे लगाएं.

पितृ दोष

* श्रावण अमावस्या के दिन स्नानादि से मुक्त होकर पितृ लोक के देवता अर्यमा की पूजा करें. इसके बाद किसी ब्राह्मण अथवा गरीब को वस्त्र एवं भोजन दान करें. ऐसा करने से अर्यमा देव के आशीर्वाद से वंश वृद्धि होती है.

* श्रावण के सोमवार को शिव-पार्वती की पूजा के पश्चात निम्न लिखित शिव गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें. संभव है तो संध्याकाल में भी भगवान शिव के सामने इस मंत्र का जाप करें. यह प्रक्रिया पूरे श्रावण मास में करें, पितृ दोष से मुक्ति मिल जायेगी.

* इस दिन खाना खाने से पूर्व कुत्ता, गाय, कौवा, ब्राह्मण एवं कन्या को भोजन जिसे पंचबली भी कहते हैं, खिलाएं. मान्यता है कि इस तरह कराया गया भोजन सीधा पितरों को प्राप्त होता है और उनके आशीर्वाद से पितृ दोष खत्म होते हैं.

काल सर्प दोष

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना एवं रुद्राभिषेक करें. इसके बाद किसी तीर्थ स्थान पर किसी काल सर्प दोष के जानकार पुरोहित द्वारा चांदी के नाग-नागिनी की पूजा कर, निकटतम नदी में प्रवाहित कर हाथ जोड़कर कालसर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करें. इससे काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है, और रुके हुए कार्य सम्पन्न होने लगते हैं.

धन संकट

सोमवती अमावस्या के दिन निम्न पंचाक्षरी मंत्र का जाप 108 बार जाप करें. किसी भी तरह से चल रहे आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलेगी.

ॐ नम: शिवाय.