Pongal Messages 2023: पोंगल (Pongal) एक फसल उत्सव है जो मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है. इस साल पोंगल 14 जनवरी से 18 जनवरी तक मनाया जाएगा. उत्सव के पहले दिन को भोगी पोंगल के रूप में जाना जाता है, जो तमिल महीने मरगज़ी का अंतिम दिन भी है. इस दिन लोग अपने पुराने और बिना काम के घरेलू सामानों को जलाते हैं और नयी चीजें खरीदते हैं. दूसरा दिन, जिसे पेरुम पोंगल या सूर्य पोंगल कहा जाता है, मुख्य उत्सव का दिन होता है जब लोग सूर्य देव और उनके साथियों, छाया और सम्गान्य की पूजा करते हैं. यह तमिल महीने ताई का पहला दिन भी है. इस दिन, लोग अपने घरों को चावल के आटे और लाल मिट्टी से बने कोलम से सजाते हैं. यह भी पढ़ें: Pongal Wishes 2023: पोंगल पर ये हिंदी विशेज WhatsApp Stickers, GIF Images और SMS के जरिये भेजकर दें शुभकामनाएं!
तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है, जहां मट्टू का मतलब मवेशी होता है. इस दिन मवेशियों की पूजा की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनकी वजह से अच्छी फसल होती है. मवेशियों को फूलों की माला से भी सजाया जाता है और सींगों को रंगा जाता है. त्योहार का आखिरी दिन कानुम पोंगल है. लोग इसे दोस्तों और परिवार से मिलने, उपहारों का आदान-प्रदान करने, डांस और सांडों को वश में करने जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मनाते हैं.
1- जैसे ही आप पोंगल पोंगल कहें,
संपन्नता और धन का स्वागत करने के लिए,
बहते दूध के साथ मैं आपको,
पोंगल की शुभकामना देता हूं,
कभी ना खत्म होने वाली खुशी के साथ.
हैप्पी पोंगल
2- एक-दूसरे से गले मिलकर जुड़ जाएं दिलों के तार,
रेवड़ी और मिठाई की मिठास जीवन में ऐसे घुले,
कि हर दिन बन जाए खास,
ऐसी प्रार्थना है ईश्वर से मेरी,
पोंगल से हो एक नई शुरुआत.
हैप्पी पोंगल
3- खुद को जलाकर हमें बचाने के लिए,
हम भगवान सूर्य का धन्यवाद करते हैं,
पेड़-पौधे हमारे लिए खुद का बलिदान करते हैं,
हमें जीवित रखने के लिए सभी जानवरों को धन्यवाद.
हैप्पी पोंगल
4- त्योहार नहीं होता अपना पराया,
त्योहार है वही जिसे सबने मनाया,
तो मिला के गुड़ में तिल,
पतंग संग उड़ जाने दो दिल.
हैप्पी पोंगल
5- गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,
सितारों ने गगन से सलाम भेजा है,
मुबारक हो आपको ये पोंगल,
हमने तहे दिल से यह पैगाम भेजा है.
हैप्पी पोंगल
कुछ लोग कहते हैं कि पोंगल का इतिहास 2000 साल से भी पुराना है. लोगों का मानना है कि प्राचीन चोल साम्राज्य के दिनों में भी यह त्योहार मनाया जाता था. साथ ही, पोंगल को एक प्राचीन उत्सव माना जाता है, जो 200 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक के संगम युग का है. यह मूल रूप से एक द्रविड़ फसल उत्सव है, लेकिन इसका उल्लेख संस्कृत पुराणों में भी मिलता है.