Happy Parshuram Jayanti 2020 Greetings: इन मनमोहक हिंदी WhatsApp Status, Facebook Messages, GIF Wishes, HD Wallpapers, Images के जरिए प्रियजनों को दें परशुराम जयंती की बधाई
परशुराम जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

Parshuram Jayanti 2020 Greetings In Hindi: पंचांग भेद के कारण इस साल देश के कई हिस्सों में परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) का पर्व 25 अप्रैल को मनाया गया, जबकि कई स्थानों की पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार आज (26 अप्रैल) अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) और भगवान परशुराम जयंती (Bhagwan Parshuram Jayanti) एक साथ मनाई जा रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के छठे अवतार भगवान परशुराम (Lord Parshuram) का धरती पर अवतरण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को माता रेणुका के गर्भ से हुआ था, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है. हालांकि  इस साल कई जगहों पर परशुराम जयंती का पर्व 25 अप्रैल (शनिवार) को मनाया गया तो कई जगहों पर आज (26 अप्रैल) मनाया जा रहा है.

इस समय कोरोना वायरस महामारी के संकट से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है, लिहाजा लोग अपने घरों में सादगी से सारे त्योहार मना रहे हैं. हालांकि इस शुभ अवसर पर आप सोशल मीडिया के जरिए इन मनमोहक हिंदी वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ विशेज, एचडी वॉलपेपर्स और इमेज को भेजकर अपने प्रियजनों को परशुराम जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं और इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मना सकते हैं.

1- हैप्पी परशुराम जयंती

परशुराम जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

2- परशुराम जयंती की शुभकामनाएं

परशुराम जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

3- परशुराम जयंती की बधाई

परशुराम जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

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4- शुभ परशुराम जयंती

परशुराम जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

5- परशुराम जयंती की हार्दिक बधाई

परशुराम जयंती 2020 (Photo Credits: File Image)

मान्यता है भगवान परशुराम ने न्याय के लिए 21 बार इस धरा को क्षत्रिय विहीन किया था, इसलिए उन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है. वे भगवान विष्णु के ऐसे अवतार हैं जो हनुमान जी और अश्वत्थामा की तरह सशरीर आज भी इस पृथ्वी पर मौजूद हैं. भगवान परशुराम का त्रेतायुग और द्वापर युग से भी संबंध है, कहा जाता है कि त्रेतायुग में श्रीराम उन्हें सुदर्शन चक्र दिया था और द्वापर युग में उन्होंने श्रीकृष्ण को वह सुदर्शन चक्र वापस कर दिया था.