Happy Narmada Jayanti 2021 Wishes & Images: हैप्पी नर्मदा जयंती! अपनों संग शेयर करें ये WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIFs और वॉलपेपर्स
नर्मदा जयंती पर मां नर्मदा के पावन जल में स्नान करने से लोगों के समस्त पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. आप अपनों के साथ इस उत्सव की खुशियों को बांट सकें, इसलिए हम लेकर आए हैं हैप्पी नर्मदा जयंती के मनमोहक विशेज, इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ और वॉलपेपर्स, जिन्हें आप सोशल मीडिया के जरिए भेजकर अपनों को बधाई दे सकते हैं.
Happy Narmada Jayanti 2021 Wishes & Images: हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अमरकंटक (Amarkantak) में मां नर्मदा (Maa Narmada) का उद्गम हुआ था, इसलिए इस दिन अमरकंटक समेत पूरे मध्य प्रदेश में नर्मदा जयंती (Narmada Jayanti) का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. आज (19 फरवरी 2021) नर्मदा जयंती मनाई जा रही है, जो पवित्र नदी मां नर्मदा को समर्पित है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब भगवान शिव तपस्या में लीन थे, तब उनके पसीने से नर्मदा प्रकट हुईं. नर्मदा के प्रकट होते ही उन्होंने अपने अलौकिक सौंदर्य से ऐसी चमत्कारी लीलाएं प्रस्तुत की कि खुद भगवान शिव और माता पार्वती चकित रह गए, तभी उन्होंने उनका नाम नर्मदा रखा. उनका एक नाम रेवा भी है, लेकिन नर्मदा ही सर्वमान्य है.
नर्मदा जयंती पर मां नर्मदा के पावन जल में स्नान करने से लोगों के समस्त पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. आप अपनों के साथ इस उत्सव की खुशियों को बांट सकें, इसलिए हम लेकर आए हैं हैप्पी नर्मदा जयंती के मनमोहक विशेज, इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ और वॉलपेपर्स, जिन्हें आप सोशल मीडिया के जरिए भेजकर अपनों को बधाई दे सकते हैं.
1- हैप्पी नर्मदा जयंती 2021
2- हैप्पी नर्मदा जयंती 2021
3- हैप्पी नर्मदा जयंती 2021
4- हैप्पी नर्मदा जयंती 2021
5- हैप्पी नर्मदा जयंती 2021
नर्मदा जयंती से जुड़ी एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, मैखल पर्वत पर भगवान शिव ने 12 वर्ष की दिव्य कन्या को अवतरित किया. वह कन्या अत्यधिक रूपवती थी, जिसके कारण भगवान विष्णु और अन्य देवताओं ने उन्हें नर्मदा नाम दिया. मान्यता है कि नर्मदा ने उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचकोशी क्षेत्र में 10 हजार दिव्य वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थी और उनसे ऐसा वरदान मांगा था कि प्रलय में भी उनका नाश न हो. वो विश्व में एकमात्र पाप-नाशिनी नदी के रूप में प्रसिद्ध रहें. नर्मदा का हर पाषाण नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजा जाए और नर्मदा के तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करें.