Hanuman Jayanti 2020: आठ सिद्धियों ने हनुमानजी को बनाया ‘अतुलित बलशाली’, जानें इन सिद्धियों का उन्होंने कब और कैसे इस्तेमाल किया!
हनुमान जी (Photo Credits: Wikimedia Commons)

त्येक वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा पर हनुमान जयंती बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है. हमारे शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी शिवजी के ग्यारहवें अवतार हैं. मान्यता यह भी है कि शिवजी ने हनुमानजी के रूप में यह अवतार श्रीराम की सहायता के लिये लिया था. उन्हें शिवजी तथा अन्य देवों के अमोघ शस्त्र और दिव्य सिद्धियां भी प्राप्त थी, ताकि वे लंकाधिपति रावण को परास्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें. हनुमानजी की इन शक्तियों एवं सिद्धियों का वर्णन तुलसीदास रचित हनुमान चालीसा में भी किया गया है,

‘अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।’

अर्थात हनुमानजी की सच्चे मन से उपासना करने पर वे अपने भक्तों को आठों सिद्धियां एवं नौ निधियां प्रदान कर सकते हैं. आइये जानें इन आठों सिद्धियों का हनुमानजी के जीवन में क्या महत्व रहा है. इस वर्ष 8 अप्रैल (बुधवार) हनुमान जयंती मनाई जायेगी.

अणिमाः हनुमानजी अणु समान सूक्ष्म रूप में आने की शक्ति रखते थे

हनुमानजी इस सिद्धी की मदद से वे अपनी इच्छानुसार कभी भी खुद को अणु समान सूक्ष्म बना सकते थे. अपने जीवन में उन्होंने इस सिद्धी का प्रयोग लंका पहुंचने पर लंका का निरीक्षण करते हुए किया था. इसके अलावा लंका के प्रवेश द्वार पर सुरसा नामक राक्षसी द्वारा अंदर जाने से मना करने पर हनुमान जी ने अपना रूप अति सूक्ष्म मुंह से प्रवेश कर कान से बाहर निकले थे.

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महिमाः शरीर को विशालकाय बनाने की सिद्धी

रामचरित मानस में हनुमान जी की इस सिद्धी का वर्णन मिलता है. जब सीताजी का पता लगाने हनुमानजी लंका पहुंचे तो लंका के द्वार पर सुरसा नामक राक्षसी ने उन्हें निगलने की कोशिश की तो हनुमान जी ने इसी सिद्धी की शक्ति का उपयोग किया. कहा जाता है कि ज्यों-ज्यों सुरसा ने मुंह फैलाती रही हनुमान जी अपना आकार बढ़ाते गये, फिर अचानक उन्होंने स्वयं को अत्यंत लघु रूप में कर लिया. और मुंह से प्रवेश कर कान के रास्ते निकल गये. इसके अलावा सीता मइया के सामने भी वानर सेना पर विश्वास दिलाने के लिए हनुमानजी ने अपना विशाल रूप उन्हें दिखाया था.

गरिमाः शरीर को पर्वत समान जड़ बनाने की सिद्धी

हनुमानजी इस सिद्धी के दम पर अपने शरीर को पर्वत की तरह भारी बनाने की शक्ति रखते थे. महाभारतकाल में एक बार भीम को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया. उनका घमंड तोड़ने हेतु हनुमानजी एक वयोवृद्ध वानर का रूप धारण कर एक वृक्ष के नीचे लेट गये. थोड़ी देरी में वहां से भीम गुजरे. उन्होंने कहा, ऐ वानर पूंछ हटा मुझे आगे जाना है. हनुमानजी ने कहा बेटा तुम्हीं पूंछ हटाकर चले जाओ. मैं वृद्ध हूं, उठ नहीं पा रहा हूं. भीम अपनी पूरी शक्ति लगाने के बावजूद हनुमानजी की पूंछ नहीं हटा सके. तब वे समझ गये यह आम बानर नहीं हनुमानजी हैं, उन्होंने हनुमानजी से माफी मांगी

लघिमाः अत्यंत लघु रूप बनाने की शक्ति

लघिमा सिद्धी के सहारे हनुमानजी अपने रूप को इतना लघु बना सकते थे कि पत्तों में छिप जायें. सीताजी को अशोक वाटिका में देख उन्होंने सोचा कहीं माँ सीता एक बानर को देखकर भयभीत न हो जायें, उन्होंने खुद को अत्यंत लघु बनाकर अशोक वाटिका के पत्तों के बीच छिपकर सीताजी से बात करने लगे, तब सीता जी कहा आप सामने आइये. इसके बाद ही वे असली रूप में सीताजी के सामने प्रकट हुए. इसके अलावा अयोध्या में श्रीराम की अंगूठी लाने के लिए वे एक पत्थर के छिद्र के भीतर तक चले गये थे.

प्राप्तिः पशु-पक्षी की भाषा एवं कुछ भी प्राप्ति कर लेने की सिद्धी

हनुमानजी के लिए यह सिद्धी बहुत लाभकारी साबित हुई थी. कहते हैं कि इस सिद्धि के सहारे वे पल भर में कोई भी चीज प्राप्त करने की शक्ति रखते थे, साथ ही वे पशु-पक्षियों की भाषा समझ सकते थे और भविष्य का आकलन करने की शक्ति रखते थे. सीताजी की तलाश में उन्होंने पशु-पक्षियों से भी मदद ली थी कि क्या वे जानते हैं कि सीता मइया कहां हैं? भविष्य की जानकारी रखने की शक्ति ने उन्हें सीताजी से मिलवाया और रावण को युद्ध के लिए भी बार-बार उकसाया था.

प्राकाम्यः विभिन्न शक्तियों वाली सिध्दी

हनुमानजी की यह सिद्धी बहुत प्रभावशाली थी. इसकी सहायता से वे आकाश, पाताल और पानी में कहीं भी आ जा सकते थे. यही वह सिद्धी थी, जिसके कारण वे आज भी चिरंजीवी बने हुए हैं. इसके सहारे वे कभी कोई भी रूप धारण कर सकते थे. श्रीराम को पहली बार किष्किंधा पर्वत पर विचरते देखा तो एक ब्राह्मण का रूप धरकर उनके पास पहुंचे थे. प्राकाम्य सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं.

ईशित्वः दैवीय शक्तियां हासिल करनेवाली सिद्धी

ईशित्व सिद्धि से हनुमानजी कई दैवीय शक्तियां प्राप्त कर सकते थे. इसी सिद्धी के प्रभाव से हनुमानजी वानर सेना का कुशल नेतृत्व कर सके थे, उन पर नियंत्रण रखते थे. इस सिद्धी की सबसे खास बात यह थी कि हनुमानजी इसके सहारे किसी को भी पुनर्जीवन देने की शक्ति रखते थे. माना जाता है कि मेघनाद की शक्ति से मुर्छित हुए लक्ष्मणजी के लिए अगर संजीवनी बूटी नहीं ला पाते तो भी वे उन्हें मरने नहीं देते,

वशित्वः किसी को भी वश में करने की सिद्धी

इस सिद्धि के सहारे हनुमानजी ताउम्र ब्रह्मचारी जैसा कठिन व्रत निभा सके थे. यह सिद्धी मन पर नियंत्रण रखती है. इसके अलावा वशित्व की शक्ति से वे किसी को भी वश में करने की शक्ति रखते थे. इसी सिद्धी के सहारे हनुमानजी ने लंका युद्ध में कई बलशाली राक्षसों का संहार किया था. यही सिद्धियां उन्हें अतुलित बलशाली साबित करती है.