Hanuman Jayanti 2020: कब है हनुमान जयंती? क्यों लिया शिवजी ने हनुमान अवतार? जानें पूजा-विधि, मुहूर्त और रोचक कथा
पुराणों के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्म हुआ था (Photo Credits; File Image)

Hanuman Jayanti 2020 Date in India: पुराणों के अनुसार चैत्र मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्म हुआ था. वस्तुतः हनुमानजी शिवजी के 11वें रूद्र अवतार माने जाते हैं. उनके जन्म के संदर्भ में पुराणों उल्लेखित है कि अमरत्व की प्राप्ति के लिए एक बार देवताओं व असुरों ने समुद्र-मंथन किया था. समुद्र-मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए असुरों और देवताओं में युद्ध छिड़ गया. अमृत देवताओं को ही मिले यह सोच विष्णुजी मोहिनी रूप में अवतरित हुए. मोहनी का रूप सौंदर्य देख देवता व असुर तो क्या स्वयं भगवान शिवजी कामातुर हो गए. कहते हैं कि इस समय भगवान शिव ने जो वीर्य त्याग किया उसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट करवा दिया. जिसके फलस्वरूप माता अंजना ने हनुमानजी को जन्म दिया.

मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी की विधिवत पूजा-पाठ करने से शत्रु पर विजय एवं सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

हनुमान जयंती पूजा विधि

हमारे धर्म शास्त्रों में पवन-पुत्र हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी बताया गया है, इसलिए उनकी पूजा-अर्चना के समय ब्रह्मचर्य का विशेष पालन करना चाहिए. ज्योतिषियों का मानना है कि हनुमानजी की पूजा-अर्चना के लिए एक दिन पहले से आपको ब्रह्मचर्य का पालन शुरु कर देना चाहिए. हनुमान जयंती के दिन स्नान कर सर्वप्रथम श्रीराम जी का ध्यान करें. एक स्वच्छ लकड़ी की चौकी पर पीला आसन बिछाकर श्रीराम, सीता एवं हनुमानजी की आशीर्वाद-मुद्रा वाली की फोटो अथवा प्रतिमा स्थापित करें. इसके पश्चात हनुमानजी के सामने चमेली के तेल का दीप प्रज्जवलित. उनके मस्तष्क पर रोली और अक्षत का तिलक लगायें, गुड़-चने का प्रसाद चढ़ायें तथा लाल रंग का फूल, चोला और सिंदूर चढ़ाएं. हनुमान मंत्र पढ़ते हुए सारी पूजा के पश्चात हनुमान चालीसा और श्रीराम स्तुति अवश्य पढ़ें अथवा सुनें. इसके पश्चात हनुमान जी की आरती उतारें. अगर संभव हो, तो किसी बंदर को गुड़-चना अवश्य खिलाएं. इस 8 अप्रैल 2020 को हनुमान जयंती मनायी जायेगी.

केसरी नंदन कैसे बने हनुमान

केसरी नंदन मारुती का नाम हनुमान कैसे पड़ा? इस संदर्भ में पुराणों में उल्लेखित है कि एक बार जब बाल मारुती निद्रा से जागे तो उन्हें तीव्र भूख लगी. उन्हें ए वृक्ष के पास लाल पका फल दिखा वे उसे खाने के लिए वे निकल पड़े. वस्तुतः वे जिसे फल समझ रहे थे वह सूर्यदेव थे. वह अमावस्या का दिन था और राहू सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे. लेकिन सूर्य को ग्रहण लगता इसके पूर्व ही मारुति ने सूर्य को निगल लिया. राहु कुछ समझ नहीं पाए कि अब वह क्या करें. उन्होनें इंद्र से सहायता मांगी. इंद्रदेव ने मारुति से आग्रह किया कि वे सूर्यदेव को मुक्त कर दें, मगर हनुमान जी ने उनकी एक नहीं सुनी. अंततः सृष्टि की रक्षार्थ इंद्र ने मारुति के मुख पर बज्र से प्रहार किया. तब जाकर सूर्यदेव मुक्त हुए. वज्र के प्रहार से मारुती मूर्छित हो गये, तब क्रुद्ध होकर पवनदेव मारुती को एक गुफा में अंतर्ध्यान हो गये. पवनदेव के अंतर्ध्यान होते ही पृथ्वी पर वायु के लिए जीवों में त्राहि- त्राहि मच गयी.

तब सारे देवताओं ने पवनदेव से आग्रह किया कि अपना क्रोध त्याग कर वे पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह करें. पवन देव को प्रसन्न करने के लिए सभी देव मारुती को वरदान स्वरूप कई दिव्य शक्तियाँ प्रदान की. और उन्हें हनुमान जी का नाम देते हुए सृष्टि के रहने तक पूज्यनीय बने रहने का वरदान दिया. इस घटना का उल्लेख तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा में है.

क्या लीला रची थी भगवान शिव ने

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु द्वारा कृष्णा अवतार लेने के बाद रावण को दिव्य शक्तियां प्राप्त हो गयी थीं. लेकिन रावण अपने पाप कर्मों को खत्म करने के लिए भगवान शिव से मोक्ष प्राप्ति का वरदान भी चाहता था, जो उसने शिवजी की कठिन तपस्या करके प्राप्त कर लिया. लेकिन चूंकि रावण को मोक्ष विष्णुजी ही दे सकते थे इसलिए वरदान देने के बाद शिवजी ने एक लीला रची. उन्होंने हनुमानजी के रूप में अवतार लिया, और हनुमान जी को महाबलशाली बनाने के लिए अपनी सारी शक्तियां उन्हें दे दी. अंततः हनुमानजी की मदद से अजेय रावण का विष्णुजी के ही अवतार श्रीराम द्वारा वध करवाकर उसे मोक्ष दिलवाया.

हनुमान जयंती 2020 का शुभ मुहूर्त

* हनुमान जयंती पूर्णिमा प्रारंभः दोपहर 12.01 बजे से (7 अप्रैल)

* हनुमान जयंती पूर्णिमा समाप्तः 08.04 बजे तक (8 अप्रैल)

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.