Happy Hanuman Jayanti 2019: हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा (Chaitra Purnima) को देशभर में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन रामभक्त हनुमान (Rambhakt Hanuman) जी का जन्म हुआ था. पवनपुत्र हनुमान जी को भगवान शिव (Bhagwan Shiv) का रुद्र अवतार माना जाता है. हनुमान जी कलियुग के एक ऐसे देवता है जो सशरीर जीवित हैं और अपने भक्तों के सभी मनोरथ पूरे करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का जन्म किस स्थान पर हुआ था. चलिए हनुमान जयंती के इस बेहत खास मौके पर जानते हैं उनके जन्म स्थान (Birth Place of Lord Hanuman) और जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा.
इस गुफा में हुआ था हनुमान जी का जन्म
प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म झारखंड (Jharkhand) के गुमला जिले (Gumla District) के आंजन धाम (Aanjan Dham) स्थित एक पहाड़ी की गुफा में हुआ था. स्थानीय लोगों के मुताबिक आज भी यहां के पहाड़ों में वह स्थान मौजूद है जहां पर हनुमान जी का जन्म हुआ था. बताया जाता है कि हनुमान जी की माता अंजनी के नाम पर ही इस गांव का नाम आंजन पड़ा. यह गांव गुमला जिले से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: अपने नाखूनों से रामभक्त हनुमान ने सबसे पहले लिखी थी रामायण, इस वजह से उन्होंने समुद्र में फेंक दी अपनी ये रचना
माता अंजनी की गोद में बैठे हैं हनुमान जी
हनुमान जी का जन्म जिस गुफा में हुआ था, उसी के पास एक मंदिर है, जहां हनुमान जी अपनी माता अंजनी की गोद में विराजमान नजर आते हैं. यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हनुमान अपनी माता की गोद में बैठे हुए हैं. बता दें कि इस छोटे से मंदिर की स्थापना साल 1953 में यहां के स्थानीय लोगों ने की थी. मंदिर में विराजमान माता और पुत्र की यह प्रतिमा बेहद आकर्षक है.
मंदिर के नीचे मौजूद है प्राचीन गुफा
माता अंजनी के इस मंदिर के नीचे एक प्राचीन गुफा स्थित है, जिसे सर्प गुफा के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में दर्शन के बाद लोग इस गुफा के दर्शन जरूर करते हैं. बताया जाता है कि गुफा के भीतर एक गुप्त रास्ता भी है, जिससे मां अंजनी स्नान करने के लिए नदी तक जाती थीं. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहां छोटे-बड़े करीब 360 तालाब है और उतने ही शिवलिंग भी मौजूद हैं.
अपने आप बंद हो गया इस गुफा का द्वार
जिस गुफा में भगवान हनुमान जी का जन्म हुआ था, उसके द्वार कलियुग में अपने आप बंद हो गए. दरअसल, यहां के लोगों की मानें तो एक बार यहां के आदिवासियों ने माता को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि दी थी, लेकिन इससे प्रसन्न होने की बजाय माता रुष्ट हो गईं और उन्होंने स्वयं गुफा के द्वार को बंद कर लिया. यह गुफा आज भी मौजूद है. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: जानिए क्यों बाल ब्रह्मचारी होते हुए भी हनुमान जी को करना पड़ा विवाह, सूर्य पुत्री से हुई थी उनकी शादी
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.