Happy Hanuman Jayanti 2019: हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) को लेकर देशभर के हनुमान भक्तों (Hanuman Bhakt) में उत्साह का माहौल है और हर किसी पर उनकी भक्ति का रंग चढ़ा हुआ है. पवनपुत्र हनुमान जी (Pawanputra Hanuman) मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम (Lord Rama) के परम भक्त कहलाए. कहा जाता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से प्रसन्न होकर उनके सारे कष्टों को हर लेते हैं और उनके जीवन को खुशियों से भर देते हैं. दरअसल, भगवान राम के जीवन पर कई रामायण (Ramayana) लिखे गए हैं जिनमें उनके संपूर्ण जीवन का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है. इन अनेकों रामायणों में वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) , श्रीराम चरित मानस, कबंद रामायण, अद्भुत रामायण और आनंद रामायण काफी प्रसिद्ध है.
क्या आप जानते हैं कि इन सबसे पहले प्रभु राम के परम भक्त हनुमान ने स्वयं अपने नाखूनों से रामायण की रचना की थी, लेकिन बादा में उन्होंने अपनी इस रचना को सुमद्र में फेंक दिया था. आखिर हनुमान जी ने अपने द्वारा लिखे गए रामायण को समुद्र में क्यों बहा दिया, चलिए जानते हैं इससे जुड़ी बेहद दिलचस्प पौराणिक कथा. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: जानिए क्यों बाल ब्रह्मचारी होते हुए भी हनुमान जी को करना पड़ा विवाह, सूर्य पुत्री से हुई थी उनकी शादी
हनुमान ने की थी 'हनुमद रामायण' की रचना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले श्रीराम के परम भक्त हनुमान ने ही रामायण लिखी थी. उन्होंने एक शिला (चट्टान) पर अपने नाखूनों से रामायण लिखी थी, जिसे हनुमद रामायण (Hanumad Ramayana) कहा जाता है. बताया जाता है कि जब भगवान श्रीराम रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद आयोध्या में राज करने लगे, तब हनुमान जी हिमालय पर शिव जी की तपस्या के लिए चले गए. तपस्या के दौरान वे हर रोज एक शिला पर अपने नाखून से रामायण की एक कथा लिखा करते थे. इस तरह से उन्होंने प्रतिदिन प्रभु श्रीराम की महिमा का उल्लेख करते हुए 'हनुमद रामायण' की रचना की.
बाद में वाल्मिकी ने की रामायण की रचना
प्रचलित मान्यताओं के मुताबिक, हनुमान जी द्वारा हनुमद रामायण लिखे जाने के कुछ समय बाद महर्षि वाल्मिकी ने भी वाल्मीकि रामायण की रचना की. अपने द्वारा लिखे रामायण को भगवान शिव को दिखाने और उन्हें समर्पित करने की इच्छा से महर्षि वाल्मीकि कैलाश पर्वत पहुंचे. जहां उन्होंने हनुमान जी और उनके द्वारा लिखित हनुमद रामायण को देखा. हनुमद रामायण के देखने के बाद वाल्मीकि जी निराश हो गए. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: साल में दो बार मनाया जाता है हनुमान जयंती का पावन पर्व, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दी अपनी रचना
हनुमान जी ने जब महर्षि वाल्मिकी से उनकी निराशा का कारण पूछा तो वाल्मीकि जी ने कहा कि मैंने बहुत मेहनत से रामायण की रचना की थी, लेकिन आपके द्वारा लिखित रामायण के सामने यह कुछ भी नहीं है. हनुमद रामायण को देखकर ऐसा लगता है कि अब मेरे द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण उपेक्षित रह जाएगी. महर्षि वाल्मीकि की इस बात को सुनकर हनुमान जी ने हनुमद रामायण पर्वत शिला को अपने एक कंधे पर उठा लिया और दूसरे कंधे पर वाल्मीकि जी को बिठा लिया. इसके बाद वे समुद्र के पास पहुंचे और अपने द्वारा लिखित रामायण को उन्होंने समुद्र में फेंक दिया.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.