Gudi Padwa 2021 Messages in Hindi: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के बढ़ते प्रकोप के बीच आज (13 अप्रैल 2021) गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का त्योहार मनाया जा रहा है. दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार, गुड़ी पड़वा का पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा से ही हिंदू पंचांग का नया संवत्सर यानी नया साल (New Year) शुरू होता है. वैसे तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग अपनी-अपनी परंपराओं के अनुसार, नए साल का त्योहार मनाते हैं, लेकिन महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में गुड़ी पड़वा की अलग ही रौनक देखने को मिलती है. इस दिन लोग अपने घरों के बाहर तोरण बांधते हैं, मुख्य द्वार को आकर्षक रंगोली के डिजाइन से सजाते हैं. इसके साथ ही इस दिन एक लोटे पर स्वास्तिक बनाकर उस पर रेशम का कपड़ा लटकाकर घरों की छतों पर गुड़ी यानी ध्वज या पताका फहराई जाती है.
गुड़ी पड़वा के पर्व को नए साल का पहला दिन माना जाता है, जिसे धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है. नव संवत्सर यानी नए साल की बधाई देने के लिए शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. आप भी गुड़ी पड़वा के इस विशेष अवसर पर इन हिंदी वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स, एचडी इमेजेस, मैसेजेस के जरिए अपनों को नव वर्ष की प्यार भरी शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- नया दिन, नयी सुबह,
चलो मनाएं एक साथ,
है यही गुड़ी का पर्व,
दुआ करें सदा रहें हम साथ-साथ.
गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं
2- नए पत्ते आते हैं वृक्ष खुशी से झूम जाते हैं,
ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं,
हम यूं ही हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनाते,
हिंदू धर्म में यह त्योहार प्रकृति में बदलाव से आते हैं.
गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं
3- आई हैं बहारें, नाचें हम और तुम,
पास आएं खुशियां और दूर जाएं गम,
प्रकृति की लीला है हर तरफ छाई,
सभी को दिल से गुड़ी पड़वा की बधाई.
गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं
4- दोस्तों गुड़ी पड़वा आया,
अपने साथ नया साल लाया,
इस नए साल में आओ मिलें सब गले,
और मनाएं गुड़ी पड़वा दिल से...
गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं
5- खुशियां हो जाएं ओवरफ्लो,
मस्ती कभी न हो लो,
धन और शोहरत की हो बौछार,
ऐसा हो आपके लिए गुड़ी पड़वा का त्योहार.
गुड़ी पड़वा की शुभकामनाएं
गुड़ी पड़वा से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने इस सुंदर सृष्टि की रचना की थी. इससे जुड़ी एक अन्य मान्यता के मुताबिक, रामायण काल में महाबलि राजा बालि के अत्याचारों से जनता को मुक्ति दिलाने के लिए मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम ने उनका वध किया था. माना जाता है कि चैत्र प्रतिपदा के दिन ही लंबे युद्ध के बाद श्रीराम को बालि पर विजय प्राप्त हुई थी. इस दिन लोग पारंपरिक वस्त्र धारण करते हैं और सूर्य देव की विशेष आराधना की जाती है, क्योंकि इसी दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन कर मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे सौर नव वर्ष की शुरुआत होती है.