Ganga Saptami 2021: आज है गंगा सप्तमी? जानें मोक्षदायिनी माँ गंगा का महात्म्य, पूजा विधि एवं मंत्र!
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

हिंदू शास्त्रानुसार वैशाख शुक्लपक्ष की सप्तमी को गंगा सप्‍तमी (Ganga Saptami) मनाई जाती है. हिंदू धर्म (Hindu Religion) में इसका बहुत महत्व है.पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा स्वर्गलोक से भगवान शिवजी की जटाओं में समाई थीं. इस दिन गंगा-स्नान के पश्चात माँ गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा करने से जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. पद्म पुराण के अनुसार वैशाख माह श्रीहरि यानी भगवान विष्णु को समर्पित मास माना जाता है. इसलिए इस पूरे माह विष्णुजी की शोडषोपचार विधि से पूजा की जाती है. इस वर्ष 18 मई 2021 यानी आज मंगलवार को गंगा सप्तमी मनाया जा रहा है. यह भी पढ़ें- वैशाख मास का महात्म्य! क्यों जरूरी है इस माह जल का दान? जानें इस माह क्या करें क्या ना करें!

गंगा सप्तमी का महात्म्य

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में डूबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं, और मोक्ष की प्राप्ति होती है. देखा जाये तो गंगा स्नान का अलग ही महात्म्य है. इस दिन गंगा मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. शिव पुराण के अनुसार गंगा-स्नान करने से तमाम पापों से मुक्ति मिलती है. गंगा-स्नान के बाद दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए. इससे अक्षुण्य फलों की प्राप्ति होती है.शास्त्रों के अनुसार जीवनदायिनी गंगाजी में स्नान, नर्मदा जी का दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है. लेकिन कोविड 19 के दूसरे लहर की घातकता और लॉक डाउन के कारण गंगा स्नान संभव नहीं है. ऐसे में घर पर ही रहकर माँ गंगे का स्मरण एवं पूजा करने मात्र से माँ गंगा का आशीर्वाद मिल जाता है. वैशाख मास की शुक्लपक्ष की सप्तमी के ही दिन कर्मों का लेखा-जोखा रखनेवाले भगवान चित्रगुप्त का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इस तरह धार्मिक रूप से यह दिन काफी महत्वपूर्ण माना गया है.

गंगा सप्तमी शुभ मुहूर्त

गंगा सप्तमी प्रारंभ: दोपहर 12.32 बजे (18 मई 2021) से

गंगा सप्तमी समाप्‍त: दोपहर 12.50 बजे (19 मई 2021)

गंगा सप्तमी की पूजा-अर्चना!

हिंदू धर्म में मां गंगा को पापनाशिनी और मोक्षदायनी भी माना जाता है. इस वजह से गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में लॉक डाउन के कारण गंगा नदी में जाकर स्नान करना सुरक्षित नहीं है. ऐसे में आप स्नान करने के पश्चात खुद पर गंगा जल की कुछ बूंदे छिड़क लें. इसके पश्चात मां गंगा की प्रतिमा को घर के मंदिर में स्थापित करें. अगर मां गंगा की प्रतिमा नहीं मिलती है तो भगवान शिव की प्रतिमा अथवा तस्वीर के सामने धूप-दीप प्रज्जवलित करें. अब खोये की मिठाई, चंदन, सफेद पुष्प भगवान शिव को अर्पित करें. पूजा करते हुए माँ गंगा के इस पवित्र मंत्र ‘ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा’ का जाप अवश्य करें. पूजा के उपरांत गंगाजी एवं भगवान शिव की आरती उतारें. इसके पश्चात किसी गरीब को वस्त्र एवं भोजन दान करें.