Ganeshotsav 2020: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भाद्रपद के शुक्लपक्ष की सप्तमी को संपूर्ण देश में गणेशोत्सव पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जायेगा. लेकिन कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए इस वर्ष सार्वजनिक गणेशोत्सव के पंडाल नहीं सजेंगे, ना कोई सार्वजनिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे और ना ही हमेशा की तरह पंडालों से 'गणपति बप्पा मोरया...' की गूंज सुनाई देगी.
महाराष्ट्र समेत अधिकांश राज्यों में इस वर्ष सार्वजनिक गणेशोत्सव प्रतीकात्मक रूप से मनाये जाने की अपील की जा रही है. हिंदी पंचांग के अनुसार इस वर्ष 22 अगस्त को गणपति की पूजा प्रारंभ होगी और 11वें दिन यानी अनंत चतुर्दशी को प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. सुरक्षित और संरक्षित गणेशोत्सव मनाने के लिए विभिन्न प्रदेश की सरकार और प्रशासन ने कुछ गाइड लाइन तैयार करते गणेश-भक्तों से अनुरोध किया है कि इस वर्ष सार्वजनिक गणेशोत्सव में जाने के बजाय घरों में ही गणपति बप्पा की पूरे विधि-विधान से करें. तो आइये देखते हैं क्या हैं ये गाइड लाइन्स. यूं तो संपूर्ण भारत में दस दिवसीय गणेशोत्सव मनाने की परंपरा है, किंतु महाराष्ट्र में इसकी विशेष धूम दिखाई देती है.
मुंबई के लाल बाग और पुणे के दगड़ू सेठ का गणेशोत्सव संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है. यह अलग बात है कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस बार इन गणेश मंडलों के साथ अधिकांश बड़े गणेश मंडल वाले सार्वजनिक गणेशोत्सव नहीं मना रहे हैं. इस संदर्भ में महाराष्ट्र सरकार ने भी एक गाइड लाइन तैयार की है, जिसके तहत सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल वालों से इस वर्ष गणपति बप्पा की बड़ी प्रतिमा नहीं बिठाने की अपील की गयी है, साथ ही बड़े पंडालों से अपेक्षा की गयी है कि सामाजिक चेतना कार्यक्रम आयोजित करके सादगी से गणेशोत्सव मनायी जाये. सार्वजनिक मंडलों में अधिकतम 4 फिट और घरों में 2 फिट से बड़ी प्रतिमा बिठाने की अनुमति नहीं होगी. बेहतर होगा कि श्रद्धालु सार्वजनिक गणेशोत्सव में जाने के बजाय घरों में ही गणपति की पूजा करें. प्लास्टर ऑफ पेरिस अथवा किसी भी अघुलनशील पदार्थों से बनी गणपति की प्रतिमा का निर्माण प्रतिबंधित है. गणेश मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों पर कड़ाई से पालन करने एवं मुंह पर मास्क लगाने वालों को ही मंदिर में प्रवेश एवं पूजा की इजाजत है.
इन नियमों का पालन मंदिर के पुजारियों को भी करना होगा. यद्यपि महाराष्ट्र सरकार का यह भी आग्रह है कि तमाम गाइड लाइन को फालो करने के साथ इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाये कि गणेश पूजा की परंपर खंडित नहीं होने पाये. विसर्जन के समय किसी भी तरह की रैली की अनुमति नहीं होगी, तथा परिचित एवं मित्रों के घर जाकर गणपति की शुभकामनाएं देने जाने के बजाय व्हाट्सएप अथवा बधाई कार्ड के जरिये बधाई प्रेषित करें.
उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की गाइड लाइन में गणेश भक्तों से अपेक्षा की गयी है कि सार्वजनिक गणेश पंडालों में जाने के बजाय घरों में ही गणेश जी की पूजा अर्चना करें. घरों में भी आयोजित गणेश पूजा में बाहर के लोगों को आमंत्रित न करें. अगर कोई श्रद्धालु आ जाता है तो उससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए कहें. गणेशजी की प्रतिमा इस तरह बिठाएं कि श्रद्धालु दरवाजे से ही दर्शन लाभ एवं आशीर्वाद प्राप्त कर सकें. इसके अलावा स्वयं इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा खरीदें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें. मूर्ति विसर्जन के लिए 4 से अधिक व्यक्ति नहीं जा सकेंगे. विसर्जन में जाने वाले मूर्ति के साथ वाहन में बैठक गणपति बप्पा मोरया की जयकारा लगा सकते हैं. मूर्ति विसर्जन के लिए प्रयुक्त वाहन पंडाल से विसर्जन स्थल तक कहीं भी रोकने की अनुमति नहीं होगी. विसर्जन से 7 दिन पूर्व मंडल को नगर निगम को सूचित करना होगा.
छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार गणेश पंडालों में अधिकतम चार फिट की प्रतिमा बिठाई जा सकती है, और पंडाल की साइज भी 15x15 से बड़ा नहीं होनी चाहिए. पूजा-हवन के दौरान अधिकतम 20 लोगों से ज्यादा को उपस्थिति की अनुमति नहीं होगी. पंडालों में सोशल डिस्टेंसिंग तथा मुंह पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा. पंडालों में कुर्सियां लगाये जाने पर भी पाबंदी होगी. पंडालों में प्रवेश से पूर्व थर्मल स्क्रीनिंग और सेनिटाइजर आवश्यक है. बुखार पीड़ित व्यक्ति को पंडाल में प्रवेश की अनुमति होगी. भोग-प्रसाद और लाउडस्पीकर अथवा डीजे बजाने की अनुमति नहीं होगी. इसके बावजूद अगर कोई व्यक्ति पूजा पंडाल के आसपास कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो उसके इलाज का पूरा खर्च पूजा समिति को उठाना होगा. ऐसा नहीं किये जाने पर समिति के सदस्यों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
कर्नाटक एवं तमिलनाडु सरकार ने भी अपनी गाइड लाइन में गणेशजी की छोटी प्रतिमा स्थापित करने की अपील करते हुए प्रत्येक वार्ड में सिर्फ एक गणपति बिठाने की इजाजत दी है. मू्र्ति विसर्जन प्रशासन द्वारा तय नियमों के अनुरूप तथा स्थानों पर होगी, जिसमें अधिकतम 20 लोग शामिल हो सकेंगे. ऑनलाइन, वेबसाइट अथवा केबल से गणेश भक्त दर्शन कर सकें इसकी व्यवस्था के साथ ही थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजर, मास्क, सोशल डिस्टेसिंग का अनिवार्य रूप से पालन होना चाहिए.