पूरे देश में गणेश उत्सव मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में भगवान गणपति प्रथम पूजनीय भगवान माने जाते हैं. इसलिए हर पूजा व शुभ कार्यों में सर्वप्रथम भगवान गणेश को पूजा जाता है. उन्हें रिद्धि-सिद्धि और बुद्धि का देवता कहा जाता है. वहीं महाराष्ट्र की संस्कृति में गणपति का विशेष स्थान है. भगवान गणेश अष्टविनायक हैं. अष्टविनायक यानी ‘आठ गणपति. अष्टविनायक मंदिर की अपनी विशेषता है. इन मंदिरों को स्वयंभू मंदिर भी कहा जाता है. स्वयंभू का अर्थ है कि यहां भगवान स्वयं प्रकट हुए थे किसी ने उनकी प्रतिमा बना कर स्थापित नहीं की थी.
महाराष्ट्र के विख्यात अष्टविनायक मंदिरों में से एक है विघ्नेश्वर मंदिर. यहां भगवान गणेश को विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के रूप में पूजा जाता है. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: महाराष्ट्र में हैं बाप्पा के ऐसे आठ मंदिर, जहां दर्शन करने से पूर्ण होती हैं सभी मनोकामनाएं
यह मंदिर पुणे-नासिक रोड पर करीब 85 किलोमीटर दूरी पर ओझर जिले के जूनर क्षेत्र में स्थित है. मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान गणेश ने विघनासुर नाम के असुर का वध किया था. तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के रूप में जाना जाता है. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: लालबाग के राजा का दर्शन और आरती यहां देखें LIVE
अन्य मंदिरों की तरह ही विघ्नेश्वर का मंदिर भी पूर्वमुखी है और यहां एक दीपमाला भी है, जिसके पास द्वारपालक हैं. मंदिर की मूर्ति पूर्वमुखी है और साथ ही सिन्दूर तथा तेल से संलेपित है. यहां भगवान गणपति की मूर्ती अत्यंत ही मनमोहक है. यहां श्री गणपति की आँखों और नाभि में रत्न जड़ा हुआ है, जो एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति का ये इतिहास आप शायद ही जानते होंगे, ऐसे होती है इनकी पूजा