Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी कब है? जानें महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाए जाने वाले 10 दिवसीय गणेशोत्सव की तिथि और महत्व
गणेश चतुर्थी 2020 (Photo Credits: File Image)

Ganesh Chaturthi in 2020: महाराष्ट्र (Maharashtra) में गणेशोत्सव (Ganeshotsav) को हर साल बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जिसकी तैयारियां कई महीने पहले से ही शुरू हो जाती है. इस साल कोरोना वायरस के प्रकोप (Coronavirus Outbreak) के कारण गणेशोत्सव (Ganesh Utsav) की तैयारियां अभी तक शुरु नहीं हुई है और सार्वजनिक पंडालों में भी भव्य तरीके से इस उत्सव को नहीं मनाया जाएगा. जो लोग कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच अपने घर परिवार के साथ गणेशोत्सव मनाना चाहते हैं वो इसकी तैयारियों में जुट गए हैं. इस साल 10 दिवसीय गणेशोत्सव का त्योहार 22 अगस्त 2020 को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) से 1 सितंबर 2020 की अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) तक मनाया जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार गणेशोत्सव का त्योहार हर साल भाद्रपद महीने में मनाया जाता है, जो अगस्त-सितंबर के बीच पड़ता है. चलिए विस्तार से जानते हैं इस त्योहार के इतिहास और महत्व के बारे में...

महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है गणेशोत्सव

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए महाराष्ट्र के साथ-साथ पूरे देश में इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन भाद्रपद शुक्ल की चतुर्दशी तिथि को गणेश जी के विसर्जन के साथ होता है. सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.

दस दिवसीय गणेशोत्सव के लिए गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर और सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती है. हर तरफ गणपति बप्पा मोरया... मंगलमूर्ति मोरया के जयकारे गूंजते हैं. गणपति बप्पा की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए भव्य सजावट की जाती है. मिठाइयों और मोदक के साथ-साथ उन्हें पारंपरिक व्यंजनों के भोग अर्पित किए जाते हैं. 10 दिनों तक बप्पा की पूजा-अर्चना और उपासना करने के बाद अगले साल जल्दी आने की कामना के साथ गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है. यह भी पढ़ें: कोरोना संकट: गणेश उत्सव पर मंडराने लगा है कोविड-19 महामारी का खतरा, सार्वजनिक पंडालों ने सादगी से इस पर्व को मनाने का किया फैसला

कैसे हुई गणेशोत्सव मनाने की शुरुआत?

वैसे तो पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में भगवान गणेश के जन्म व गणेश चतुर्थी को लेकर कई तरह की कहानियों का जिक्र मिलता है. महाराष्ट्र में इस उत्सव की सबसे शुरुआती कहानियों में से एक शिवाजी महाराज के शासन काल से जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार हिंदू समुदाय के बीच एकता की भावना को जगाने के लिए इस उत्सव का आयोजन किया गया था. इसके बाद ब्रिटिश शासन के दौरान देशवासियों में देशप्रेम और अंग्रेजों के खिलाफ एकजुटता की भावना को जगाने के लिए इस उत्सव का सार्वजनिक तौर पर आयोजन किया गया था. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारतीयों को एकजुट करने के लिए लोकमान्य तिलक द्वारा गणेशोत्सव शुरु किया गया था.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की भव्यता देखते ही बनती है, लेकिन इस पर्व को महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे कई राज्यों में मनाया जाता है. हालांकि इस साल कोरोना वायरस महामारी के कारण इस उत्सव को धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा और सार्वजनिक तौर पर उत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा. ज्ञात हो कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा सहित कई बड़े पंडालों ने गणेशोत्सव समारोहों को रद्द कर दिया है.