Eid al-Adha Moon Sighting 2022 Live Updates: मुसलमान ईद का त्योहार मनाये जाने के करीब दो महीने बाद बकरीद (Bakrid) का त्योहार मनाते हैं. बकरीद को बकरा ईद (Bakra Eid), ईद-उल-अजहा (Eid-Al-Adha) भी कहा जाता है. ईद-अल-फितर (Eid-Al-Fitr) के बाद मनाया जाने वाला बकरीद का त्योहार इस्लाम धर्म में काफी महत्व रखता है. इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के बारहवें महीने जु-अल-हज्जा की पहली तारीख को चांद नजर आ जाता है, इसलिए इस महीने के दसवें दिन ईद-उल-अजहा (बड़ी ईद) का त्योहार मनाया जाता है.
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, तारीख हर साल बदलती है. मुस्लिम त्योहार में इस खास त्योहार को मनाने को लेकर सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ओमान में आज जु-अल-हज्जा का चांद देखने की होगी कोशिश होगी. जु-अल-हज्जा का चांद दिखने के दसवे दिन इन देशों में क़ुरबानी का त्योहार मनाया जायेगा. इस्लाम में इस दिन अल्लाह के नाम पर कुर्बानी देने के परंपरा निभाई जाती है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने के बाद अल्लाह की इबादत में बकरे की कुर्बानी देते हैं. यह भी पढ़े: Eid Al-Fitr 2022: ईद कब है और क्यों मनायी जाती है? जानें ईद का महत्व एवं कैसे करते हैं सेलिब्रेशन?
NEWS:
The Supreme Court of Saudi Arabia has called upon residents of the Kingdom to search for the crescent of the month of Dhul Hijjah 1443 on the evening of Wednesday, 30 Dhul Qadah 1443 according to Umm Al Qura corresponding to June 29th 2022 and report to any sightings. pic.twitter.com/h6newY9zCe
— Haramain Sharifain (@hsharifain) June 27, 2022
ट्वीट:
من المتوقع أن يكون يوم السبت 09 يوليو 2022م أول أيام عيد الأضحى المبارك في غالبية الدول العربية، وأن يكون يوم الأحد 10 يوليو في العديد من الدول الأخرى، خاصة في شرق العالم الإسلامي.
المزيد على هذا الرابط:https://t.co/MLBKAndaJR#عاجل pic.twitter.com/M3gmvJmuwo
— مركز الفلك الدولي (@AstronomyCenter) June 27, 2022
बता दें कि इस्लाम में इस त्योहार की परम्परा की शुरुआत पैगंबर हजरत इब्राहिम से कुर्बानी देने की परंपर शुरु हुई है. मान्यता है कि एक रात अल्लाह ने हजरत इब्राहिम के सपने में आकर उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी. उन्होंने एक-एक कर अपने सभी प्यारे जानवरों की कुर्बानी दे दी, लेकिन सपने में एक बार फिर अल्लाह से उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने का आदेश मिला.
कहा जाता है कि इब्राहिम को उनका बेटा सबसे ज्यादा प्यारा था, लेकिन अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए वे अपने बेटे की कुर्बानी देने पर तैयार हो गए. उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देते समय अपने आंखों पर पट्टी बांध ली और कुर्बानी के बाद जब आंखे खोली तो उनका बेटा जीवित था. बताया जाता है कि अल्लाह इब्राहिम की निष्ठा से बेहद खुश हुए और उनके बेटे की जगह कुर्बानी को बकरे में बदल दिया. कहा जाता है कि उसी समय से बकरीद पर कुर्बानी की देने की यह परंपरा चली आ रही है.