Diwali & Laxmi Pujan 2023: दिवाली के दिन लक्ष्मी जी-गणेश की पूजा क्यों होती है?

दीपावली सनातन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है. यह पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. रोशनी के त्यौहार के रूप में लोकप्रिय दीपावली के दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश एवं माता लक्ष्मी की पूजा होती है...

दिवाली 2023- Unsplash

दीपावली (Deepawali) सनातन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है. यह पर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. रोशनी के त्यौहार के रूप में लोकप्रिय दीपावली के दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश एवं माता लक्ष्मी की पूजा होती है. गौरतलब है कि पांच दिवसीय दीपावली की शुरुआत धनतेरस से होती है, और कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया के दिन भाई दूज, तथा चित्रगुप्त पूजा के साथ समाप्त होती है. मान्यता है कि इन पांचों दिन देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के मध्य उपस्थित रहती हैं. उनकी कामनाएं सुनती और पूरा करती हैं. इस वर्ष 12 नवंबर 2023 को लक्ष्मी जी की पूजा का आयोजन होगा. आइये जानते हैं दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी एवं गणेश जी की पूजा-अर्चना क्यों की जाती है, लक्ष्मी जी के साथ विष्णु जी की क्यों नहीं होती पूजा. यह भी पढ़ें: Muhurat Trading 2023: क्या है मुहूर्त ट्रेडिंग? जानें दिवाली पर अधिक धन कमाने का ‘शुभ मुहूर्त’! और स्टॉक एक्सचेंज का दिवाली ऑफर!

दीपावली के दिन क्यों होती है लक्ष्मी जी की पूजा?

विष्णु पुराण के अनुसार देव और असुरों के बीच समुद्र-मंथन हुआ. इस मंथन में हलाहल के साथ बहुत सारी दुर्लभ वस्तुएं एवं देवी-देवता प्रकट हुए. मान्यताओं के अनुसार समुद्र-मंथन में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरी प्रकट हुए, इसलिए त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार और अमावस्या यानी दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के प्रकट होने से लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की जाती है.

लक्ष्मीजी के साथ श्रीहरि के बजाय गणेशजी की पूजा क्यों होती है?

किंवदंतियों के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी ने श्रीहरि ( भगवान विष्णु) से कहा, -मैं धन-धान्य, ऐश्वर्य एवं मनुष्य को तमाम खुशियां प्रदान करती हूं, ऐसे में मेरी पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होनी चाहिए. श्रीहरि समझ गये कि लक्ष्मी जी को अहंकार हो गया है. श्रीहरि ने लक्ष्मीजी से कहा कि आप सुख, समृद्धि सब कुछ देती हैं, लेकिन आप मातृत्व-सुख से वंचित हैं, और इसके बिना नारीत्व अधूरा होता है. आपकी पूजा कैसे सर्वश्रेष्ठ हो सकती है? श्रीहरि की बात सुनकर निराश लक्ष्मीजी देवी पार्वती से मिलकर अपनी व्यथा व्यक्त की. लक्ष्मीजी की पीड़ा को महसूस करते हुए उन्होंने अपने पुत्र गणेश को दत्तक पुत्र बनाकर लक्ष्मी जी को सौंप दिया. गणेश जी को दत्तक पुत्र के रूप में प्राप्त करने के बाद माँ लक्ष्मी ने घोषणा की कि मेरी पूजा का प्रतिफल तभी मिलेगा, जब मेरे साथ मेरे दत्तक पुत्र की भी पूजा होगी. कहा जाता है कि इसके बाद से ही दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश की साथ में पूजा की जाती है.

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