Diwali 2020: हिंदू धार्मिक परंपराओं के अनुसार कार्तिक मास में कृष्णपक्ष त्रयोदशी को धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाये जाने की परंपरा है. हिंदी पंचांग में इस वर्ष 13 नवंबर के दिन धनतेरस की तिथि दर्शा रहा है. इस दिन हिंदू समाज नये बर्तन अवश्य खरीदता है. सामर्थ्यवान लोग इस दिन सोना चांदी की खरीदारी भी करते हैं. यही वजह है कि धनतेरस के दिन भारत (India) ही नहीं अब तो दुनिया भर के ज्वेलर्स की दुकानें रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगाती दिखती हैं. बाजार की छटा ही निराली नजर आती है. लेकिन प्रश्न उठता है कि धन तेरस के दिन सोना-चांदी (Gold-Silver) अथवा नये बर्तन (Utensils) खरीदने की परंपरा के पीछे क्या कहानी है. आज हम इसी विषय पर बात करेंगे, कि हम धन तेरस पर सोना-चांदी-बरतन क्यों खरीदते हैं?
क्या है पंचोत्सव?
दीपावली पर प्रमुख रूप से पांच पर्व मनाये जाने की परंपरा है. इसीलिए इसे पंचोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इन पर्वों में सर्वप्रथम धनतेरस का नाम आता है. इसके बाद क्रमशः छोटी दिवाली, बड़ी दीपावली गोवर्धन पूजा और अंत में भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. इस पंचोत्सव की महिमा संपूर्ण भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है.
क्यों खरीदते हैं सोना-चांदी और पीतल!
मान्यता है कि माता लक्ष्मी की तरह भगवान धनवंतरि की उत्पत्ति भी समुद्र-मंथन के दौरान हुई थी. उस समय उनके हाथों में अमृत कलश था, इसी आधार पर धनतेरस के दिन नये बर्तन खरीदने की परंपरा की शुरुआत हुई. धीरे-धीरे यह परंपरा विकसित होती गयी और बर्तन के साथ सोने चांदी के सिक्के एवं आभूषण खरीदने का सिलसिला शुरु हुआ. सोने-चांदी के बाद यह सिलसिला वाहन खरीदने तक बढ़ा और आज धनतेरस के दिन भारत के बाजारों में ग्राहकों की धूम छाई रहती है. इस संदर्भ में ज्योतिषियों का मानना है कि इस दिन सोना-चांदी, पीतल के बर्तन अथवा वाहन खरीदना शुभ माना जाता है. अब तो धनतेरस के दिन दीपावली से संबंधित सारे सामान एवं लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा भी खरीदी जाती है.
मान्यता यह भी है कि इस शुभ दिन हम जो भी सामान खरीदते हैं, वह हमारे लिए ‘गुड लक’ लेकर आता है. खास बात यह है कि अगर बजट में सोना या चांदी का कोई भी आइटम, मसलन, सिक्का, जेवर, मूर्ति, आदि खरीद सकते हैं. अगर कोई किसी वजह से सोना या चांदी नहीं खरीद पा रहा है, इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है. चूंकि इस दिन पीला धातु खरीदने की परंपरा है, इसलिए चाहे तो तांबे का बर्तन भी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि तांबे के बर्तन का इस्तेमाल सेहत के लिए लाभकारी होता है.
पारंपरिक कथा
एक समय हिम नामक एक राजा हुआ करता था. उसके बेटे को श्राप था कि शादी के चौथे दिन उसकी मृत्यु हो जाएगी. इसके बावजूद उसकी पत्नी ने उसके साथ शादी की. शादी के चौथे दिन उसने राजकुमार से कहा कि वह पूरी रात सोये नहीं. पति को नींद न आ जाये, इसके लिए वह उसे पूरी रात गीत और कहानियां सुनाती रही. उसने घर के दरवाजे पर सोने-चांदी व अन्य बहुमूल्य वस्तुएं रख दीं. घर के आस-पास दीये जलाए. यम सांप के रूप में राजा हिम के बेटे की जान लेने आए तो आभूषणों और दीपों की चमक से अंधे हो गए. वह घर के अंदर प्रवेश ही नहीं कर सके. वह रात भर आभूषणों के ढेर पर बैठे गीत सुनते रहे. सुबह यमराज राजकुमार के प्राण लिए बिना चले गए क्योंकि मृत्यु की घड़ी बीत चुकी थी.
धनतेरस का शुभ मुहूर्त?
इस वर्ष धनतेरस शुक्रवार को पड़ रहा है, जो मूलतः लक्ष्मी जी का दिन माना जाता है. इसलिए पूरे दिन कभी भी सोना-चांदी अथवा पीले बर्तन आदि खरीदे जा सकते हैं. जहां तक धनतेरस की पूजा के शुभ मुहूर्त की बात है तो इस वर्ष कार्तिक मास कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 12 नवंबर रात 09.30 बजे से प्रारंभ होकर 13 नवंबर को शाम 05.59 बजे तक रहेगा. इसलिए धनतेरस की पूजा 13 नवंबर की की शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम को 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. इसी दरम्यान पूजा कर लेनी चाहिए.