Naraka Chaturdashi 2019: दीपावली (Deepawali) से ठीक एक दिन पूर्व छोटी दीवाली (Chhoti Diwali) के दिन ‘रूप चतुर्दशी’ (Roop Chaudas) का पर्व भी मनाया जाता है. इसे ही ‘रूप चौदस’ ‘नरक चतुर्दशी’ (Narak Chaturdashi), और ‘काली चतुर्दशी (Kali Chaudas)’ के नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति दीपक जलाता है और विधि-विधान के साथ पूजा करता है, उसकी तमाम समस्याओं का समाधान हो जाता है. परंपरानुसार रूप चौदस के दिन घर के अलग-अलग हिस्सों में यम के नाम से दीपक जलाते हैं. इस बार यह पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कहा जाता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल लगाकर स्नान करना आवश्यक होता है.
अभ्यंग स्नान का महत्व
ज्योतिषियों के अनुसार इस बार शनिवार को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर चतुर्दशी लगेगी, जो दीपावली के दिन दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. शनिवार रात 8 बजकर 27 मिनट से हस्त नक्षत्र लगेगा, जो रविवार यानी दीवाली के दिन सायंकाल 5 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. रूप चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान का बहुत महत्व है, लेकिन इसे सूर्योदय से पूर्व ही करना श्रेयस्कर होगा. इसीलिए यह स्नान लक्ष्मी पूजन यानी दीवाली अर्थात 27 अक्टूबर की सुबह होगा. जबकि दीपदान प्रदोष काल में किया जाता है. इसलिए दीपदान 26 अक्टूबर के दिन ही कर लेना चाहिए. यह भी पढ़ें: Chhoti Diwali 2019: दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है छोटी दिवाली, जानिए शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी पौराणिक कथा
क्या है 14 दीपक जलाने का महात्म्य
ज्योतिषाचार्य रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस बार रूप चतुर्दशी पर अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए दीपदान और अभ्यंग स्नान अलग-अलग दिन हस्त नक्षत्र में किया जाएगा. इसी दरम्यान भगवान श्रीकृष्ण और यमराज का पूजन भी किया जायेगा. छोटी दीपावली अर्थात नरक चतुर्दशी की रात आंगन में तेल के 14 दीपक जलाने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि यम पूजन और दीपदान से अकाल मृत्यु या नरक में जाने का भय समाप्त होता है.
घर के बुजुर्ग जलाते हैं यम का दीया
देर रात घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीया जलाकर पूरे घर में घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर ले जाकर रख देता है. इस दीये को ही यम का दीया कहते हैं, इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं. माना जाता है कि इस दीये को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं. इस चतुर्दशी का पूजन कर अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज जी की पूजा और उपासना की जाती है. यह भी पढ़ें: Narak Chaturdashi 2019: कब है नरक चतुर्दशी? इस दिन क्यों की जाती है यमराज की पूजा, जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और दीप दान महत्व
सौंदर्य में वृद्धि करता है रूप चतुर्दश
रूप चतुदर्शी को सौंदर्य में वृद्धि करने वाला दिन माना जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर
पूरे शरीर पर उबटन और तिल के तेल से मालिश करके स्नान करना चाहिए. इसके पश्चात चिचड़ी की पत्तियों को जल में डालकर स्नान करने से तमाम तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य प्राप्त होता है. अब एक थाल को सजाकर इस पर चौमुख दीया के साथ 14 दीया रखकर जलाते हैं और ईष्ट देव की पूजा करते हैं. पूजा सम्पन्न होने के सभी दीयों को घर के अलग अलग स्थानों पर रखते हैं. शाम के समय दीपदान करते हैं. मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर सभी पापों से मुक्ति मिलती है.