Difference Between 3 Teejs 2023: हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है? जानें क्या कहते हैं पुरोहित!
हरतालिका तीज 2023 (Photo Credits: File Image)

सनातन धर्म में हर व्रत की अपनी महिमा एवं व्रत विधान है. इसमें तीज एक ऐसा व्रत है, जिसे साल में क्रमानुसार तीन विभिन्न नामों हरियाली तीज, कजरी तीज एवं हरितालिका तीज के साथ मनाया जाता है. ये तीनों तीज व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति एवं संतान की सलामती तथा दीर्घायु के लिए रखती हैं. तीनों ही तीज हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रत माने जाते हैं, जिसमें सुहागन निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन प्रात काल व्रत का पारण होता है. तीज के इन तीनों व्रतों को लेकर हमेशा दुविधा रहती है, किस व्रत का क्या नियम, महात्म्य और पूजा विधि आदि है. यहां ज्योतिषाचार्य श्री भागवत जी महाराज तीनों तीजों के व्रतों की विभिन्न के बारे में सिलसिलेवार बता रहे हैं. यह भी पढ़ें: Hartalika Teej 2023 HD Images: शुभ हरतालिका तीज! इन WhatsApp Status, GIF Greetings, Photo SMS, Wallpapers के जरिए दें बधाई

हरियाली तीजः हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन रखा जाता है. हरियाली तीज में सुहागन स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती तथा कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए निर्जला व्रत रखती है. सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ और कुंवारी कन्याएं पूरे दिन व्रत रखते हुए भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा करती हैं. मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर पत्नी रूप में स्वीकारा था. इस वर्ष 19 अगस्त 2023 को हरियाली तीज मनाई गई थी.

कजरी तीज

शिव पुराण के अनुसार भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की तृतीया के दिन कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है. इसे सातुड़ी तीज अथवा भादों तीज भी कहते हैं. इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की सलामती के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, और देवी पार्वती की विशेष-पूजा अर्चना करती हैं. कजरी तीज मुख्यतः उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं बिहार प्रमुख हिंदी भाषी प्रदेशों में मनाया जाता है. इस दिन कजरी लोकगीत गाने का विशेष प्रचलन होता है. इस बार कजरी तीज का व्रत 2 सितंबर 2023 को मनाया गया था.

हरतालिका तीज

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की तृतीया को उत्तर भारत के विभिन्न अंचलों में हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है. शिव पुराण के अनुसार देवी सती के आत्मदाह के बाद शिवजी ने वैराग्य धारण कर लिया. उन्होंने सती को पुनर्जन्म के लिए मना किया था, लेकिन सती के पार्वती रूप में जन्म लेने पर शिवजी उनसे रुष्ठ हो गये थे. शिवजी को प्रसन्न करने हेतु देवी पार्वती ने हिमालय की कंदराओं में अन्न-जल त्याग कर सैकड़ों वर्षों तक कठोर तपस्या किया. अंततः शिवजी देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकारा. इस दिन सुहागन स्त्रियां पति की दीर्घायु और कुंवारी कन्याएं मनपसंद वर प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखते हुए देवी पार्वती और शिवजी की पूजा करती हैं. पूजा के समय सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं और देवी पार्वती को भी सुहाग की सारी वस्तुएं अर्पित करती हैं. अगले दिन पारण किया जाता है.

क्या अंतर है तीनों तीजों में

हरियाली और कजरी तीज सावन माह की मौज-मस्ती को दर्शाती है. स्त्रियां व्रत रखती हैं और सावन अथवा कजरी लोकगीत गाते हुए झूला झूलती हैं. जगह-जगह मेले का आयोजन होता है, लेकिन हरतालिका तीज में कड़े नियमों का पालन करना होता है. वर्षा ऋतु लगभग समाप्त होने के कारण सूर्य की कड़ी धूप में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखना काफी कठिन होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज से हरतालिका तीज तक आते-आते माता पार्वती की तपस्या और भी कड़ी होती गई थी.