Devshayani Ekadashi 2023 Messages in Hindi: जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को एकादशी तिथि अत्यंत प्रिय है और एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ व उत्तम फलदायी माना जाता है. वैसे तो साल भर में 24 एकादशियां मनाई जाती हैं, जिनकी कथाएं और महत्व अलग-अलग हैं. इन्हीं एकादशियों में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का अपना एक विशेष महत्व बताया जाता है. इस एकादशी को आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi), देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi) और पद्मनाभा एकादशी (Padmanabha Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. आज (29 जून 2023) देवशयनी एकादशी मनाई जा रही है. मान्यता है कि इसी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं, फिर चार महीने बाद देवप्रबोधिनी एकादशी यानी देवउठनी एकादशी के दिन वे योगनिद्रा से जागते हैं.
देवशयनी एकादशी की रात्रि से श्रीहरि का शयन काल प्रारंभ हो जाता है. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी के बीच चार महीने की इस अविधि को चातुर्मास या चौमासा कहा जाता है और इस दौरान सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और फोटो एसएमएस को भेजकर अपनों को शुभ देवशयनी एकादशी कह सकते हैं.
1-ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
शुभ देवशयनी एकादशी
2- देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर,
भगवान विष्णु आपके सभी पापों का नाश करें.
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
शुभ देवशयनी एकादशी
3- भगवान विष्णु की कृपा से,
आपके सभी मनोरथ सिद्ध हो,
आपके जीवन में सुख-शांति,
और समृद्धि हमेशा बनी रहे.
शुभ देवशयनी एकादशी
4- देवशयनी एकादशी का व्रत,
आपके पापों से मुक्ति दिलाए,
साथ ही इस लोक के सुख भोगते हुए,
आपको स्वर्ग की प्राप्ति कराए.
शुभ देवशयनी एकादशी
5- देवशयनी एकादशी के पावन पर्व पर,
भगवान विष्णु की कृपा से,
आपके सभी पाप नष्ट हो जाएं,
और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो.
शुभ देवशयनी एकादशी
प्रचिलत पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि शंखचूड़ नाम के असुर से भगवान विष्णु ने काफी समय तक युद्ध किया और अंत में वे विजयी हुए, लेकिन युद्ध करते-करते भगवान विष्णु इस कदर थक गए थे कि वे योगनिद्रा में चले गए. ऐसे में उन्होंने अपने शयनकाल के दौरान सृष्टि के पालन का कार्यभार देवों के देव महादेव को सौंप दिया, इसलिए ऐसा माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और देवउठनी एकादशी को योगनिद्रा से जागने से बाद एक बार फिर से श्रीहरि सृष्टि के संचालन का कार्यभार अपने हाथों में ले लेते हैं.