Dev Uthani Ekadashi 2019: देवउठनी एकादशी कब है? श्रीहरि के योग निद्रा से जागते ही शुरू हो जाएंगे सभी मांगलिक कार्य, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि
भगवान विष्णु (Photo Credits: Facebook)

Dev Uthani Ekadashi 2019: हर साल आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी (Dev Shayani Ekadashi) को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार महीने के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं और कार्तिक महीने की देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन वे योग निद्रा से जागते हैं. चतुर्मास (Chaturmaas) की समाप्ति के साथ ही देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. हर साल देवउठनी एकादशी की पावन तिथि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को आती है और इस साल यह तिथि 8 नवंबर 2019 को पड़ रही है. देवउठनी एकादशी को हरिप्रबोधिनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी और देवउठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है. इस एकादशी के बाद से विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं.

देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व बताया जाता है. चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी की शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, मंत्र और इस एकादशी का धार्मिक महत्व.

देवउठनी एकादशी मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारंभ- 7 नवबंर 2019 (गुरुवार) सुबह 09.55 बजे से,

एकादशी तिथि समाप्त- 8 नवंबर 2019 (शुक्रवार) दोपहर 12.24 बजे तक.

व्रत के पारण तिथि- 9 नवंबर 2019 (शनिवार) सुबह 06.39 बजे से सुबह 08.50 बजे तक.  यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2019: अगर पैसों की तंगी से हैं परेशान, तो तुलसी पूजन के दौरान इन चीजों का लगाएं भोग

पूजा विधि

सालभर में कुल 24 एकादशी आती है, लेकिन सभी एकादशियों में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं. इस दिन शुभ मुहूर्त में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा का विधान है.

  • एकादशी तिथि को सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  • पूजा स्थल पर एक साफ चौकी बिछाकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं.
  • इसके बाद उस चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें.
  • अब भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं.
  • फिर उन्हें पीले फूल, नैवेद्य, पीले फल, पीली मिठाई, बेर और गन्ना अर्पित करें.
  • पुष्प, धूप, दीप, चंदन इत्यादि से विधिवत भगवान विष्णु का पूजन करें.
  • रात के समय पूजा स्थल और घर के बाहर एक दीपक जरूर जलाएं.
  • देवउठनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुने, मंत्रोपचार करें और अंत में उनकी आरती करें.
  • देवउठनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर, भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करें.
  • द्वादशी तिथि को किसी ब्राह्मण को मिष्ठान्न और दक्षिणा देकर अपना व्रत खोलें.

मंत्र-

“उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुणध्वज।

उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु।।” यह भी पढ़ें: Tulsi Vivah 2019: अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल और सुखमय बनाने के लिए तुलसी विवाह के दिन करें ये काम

देवउठनी एकादशी का महत्व

कार्तिक महीने को भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना माना जाता है और देवउठनी एकादशी का पावन दिन भी इसी महीने में पड़ता है. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार मास की योग निद्रा से जागते हैं. इस दिन चतुर्मास खत्म होता है और सभी मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के साथ सभी देवताओं की आराधना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवता अपनी निद्रा से जाग जाते हैं. कई जगहों पर इसी दिन तुलसी विवाह भी कराया जाता है. इस दिन दान, पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है.

गौरतलब है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. उनके योग निद्रा में जाते ही सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के निद्रा से जागते ही सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.