Eid al-Adha 2020: इस साल देशभर में 1 अगस्त को बकरीद मनाया जाएगा. इस्लामिक कैलेंडर अनुसार बारहवें महीने के जिल-हज्जा के दसवें दिन बकरीद (Bakrid) का त्योहर मनाया जाता है. बकरीद को ईद-उल-अजहा (Eid Al Adha) या फिर ईद-उल जुहा के नाम से भी जाना जाता है. बकरीद रमजान (Ramadan) के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाती है. इस्लाम धर्म में मीठी ईद के बाद यह का प्रमुख त्योहार होता है. इस दिन कुर्बानी दी जाती है और इसे कुर्बानी का पर्व भी माना जाता है.
कब है बकरीद/ईद-उल-अजहा 2020?
बकरीद का त्योहार इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के 12वें महीने जिल-हज्जा के दसवें दिन मनाया जाता है. बकरीद का त्योहार देशभर में 1 अगस्त 2020 को मनाया जाएगा. हालांकि, सऊदी अरब में 31 जुलाई को ही बकरीद मनाई जाएगी.
क्यों देते हैं बकरी की कुर्बानी?
प्रचलित मान्यताओं की मानें तो, इस्लाम धर्म कुर्बानी की यह परंपरा पैगंबर हजरत इब्राहिम से शुरू हुई थी. माना जाता है कि अल्लाह से काफी मिन्नतों के बाद इब्राहिम अलैय सलाम को एक संतान हुई, जिनका नाम इस्माइल था. वे अपने बेटे इस्माइल से बेहद प्यार करते थे. एक रात अल्लाह ने हजरत इब्राहिम के सपने में आकर उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी. उन्होंने एक-एक कर अपने जानवरों की कुर्बानी दे दी. लेकिन फिर अल्लाह उनके सपने आए और कहा कि वो अपनी सबसे अजीज चीज की कुर्बानी दें.
जिसके बाद अल्लाह का आदेश मानते हुए पैगंबर हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया. बेटे की कुर्बानी ना देख सकें इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली. हजरत इब्राहिम की निष्ठा को देख कर अल्लाह उनसे बेहद खुश हुए और कुर्बानी के समय उनके बेटे की जगह बकरे तब्दील कर दिया. कहा जाता है कि तब से बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हो गई.
बकरीद/ईद-उल-अजहा का महत्व
बकरीद के दिन को फर्ज-ए-कुर्बानी के दिन के रूप में मनाया जाता है. इस्लाम में मुस्लिमों और गरीबों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इस वजह से बकरीद पर गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है. इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. इन तीन हिस्सों में खुद के लिए एक हिस्सा रखा जाता है और बाकी के दो हिस्से गरीब और जरूरतमंदों को बांट दिए जाते हैं. इसके जरिए मुस्लिम लोग पैगाम देते हैं कि वो अपने दिल की करीब चीज भी दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं.
वहीं इस साल कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए ईद की तरह बकरीद की नमाज भी सार्वजनिक तौर पर ईदगाह में अदा नहीं की जाएगी. हालांकि, पूरे देश में धार्मिक स्थल खोले तो गए हैं, लेकिन केवल सीमित लोगों को आने-जानें की अनुमति दी गई है. कोविड-19 संकट के कारण इस साल बकरीद की रौनक कुछ फीकी नजर आ सकती है.