Christmas 2020 Hindi Wishes: क्रिसमस (Christmas) का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों का इंतजार अब खत्म होने वाला है, क्योंकि साल के इस प्रतीक्षित पर्व को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. दुनिया भर में इस त्योहार को बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है, लेकिन भारत में भी इसकी धूम देखते ही बनती है. मान्यता है कि पूरी दुनिया को प्रेम और दया का संदेश देने वाले प्रभु यीशु का जन्म इसी दिन हुआ था. इस दिन लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और केक व अन्य उपहार दिए जाते हैं. खुशियों का प्रतीक मानकर क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है और बच्चों को इस दिन सीक्रेट सैंटा का इंतजार रहता है. दरअसल, सैंटा क्लॉज (Santa Claus) का असली नाम सेंट निकोलस था. वे हर जरूरतमंद व्यक्ति की मदद किया करते थे और प्रभु यीशु के जन्मदिन पर रात में बच्चों को उपहार देते थे.
माना जाता है कि क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति क्राइस्ट से हुई है और दुनिया में पहली बार इस पर्व को 336 ई. में रोम में मनाया गया था. ईसा मसीह के जन्मदिन की खुशी में क्रिसमस का पर्व मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस खास अवसर पर आप इन प्यारे हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और वॉलपेपर्स के जरिए शुभकामनाएं देकर अपनों के साथ इस पर्व को मना सकते हैं.
1- इस क्रिसमस आपका जीवन,
क्रिसमस ट्री की तरह,
हरा-भरा और भविष्य,
तारों की तरह चमचमाता रहे.
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं
2- क्रिसमस प्यार है,
क्रिसमस खुशी है,
क्रिसमस उत्साह है,
क्रिसमस नया उमंग है.
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं
3- आया सैंटा आया लेकर खुशियां हजार,
बच्चो के लिए गिफ्ट्स और ढेर सारा प्यार,
हो जाए खुशियों की आप सब पर बहार,
मुबारक हो आपको क्रिसमस का त्योहार.
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं
4- ना कार्ड भेज रहा हूं,
ना कोई फूल भेज रहा हूं,
सिर्फ सच्चे दिल से मैं आपको,
क्रिसमस की बधाई भेज रहा हूं.
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं
5- देवदूत बनकर कोई आएगा,
सारी आशाएं आपकी पूरी कर जाएगा,
क्रिसमस के इस शुभ दिन पर,
तोहफे खुशियों के दे जाएगा.
क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, प्रभु यीशु ने मरीयम के यहां जन्म लिया था. कहा जाता है कि मरीयम को सपने में एक भविष्यवाणी सुनाई दी थी कि प्रभु यीशु उनके यहां जन्म लेंगे. ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान मरीयम को बेथलहम की यात्रा करनी पड़ी और रात के समय उन्हें एक गुफा में सहारा लेना पड़ा, जहां पशु पालने वाले गडरिए रहते थे. अगले दिन इसी गुफा प्रभु यीशु का जन्म हुआ था.