छठ महोत्सव शुरू हो चुका है. आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, और कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य एवं उपासना के साथ छठ का महापर्व समाप्त होगा. गौरतलब है कि 36-37 घंटे का निर्जला उपवास रखते हुए सुबह-सवेरे दो-तीन घंटे शीतल जल में खड़े रह कर उदय होते सूर्य की प्रतीक्षा करना एवं इसके बाद अर्घ्य देना किसी भी व्रती के लिए एक किसी कड़ी तपस्या से कम नहीं हो सकती. इस व्रत के नियम निश्चित रूप से बहुत कड़े हैं, मान्यता है कि इन नियमों को अनदेखी करना ना केवल व्रत एवं पूजा को निष्फल करता है, बल्कि छठी मइया के कोप का भाजन भी बनना पड़ता है. यहां हम कुछ ऐसे ही नियमों की बात करेंगे, जिसका हर व्रती को पालन करना आवश्यक होता है. Chhath Puja 2023: छठ पूजा क्या है और क्यों मनाई जाती है? जानें इसका धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व!
छठ पूजा में इन नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है
* छठ चार दिवसीय बड़ी साफ-सफाई वाला पर्व है, इसलिए घर की पहले से सफाई अवश्य कर लें.
* छठ पूजा के चारों दिन श्रद्धालुओं को नये वस्त्र ही पहनना चाहिए.
* सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए स्टील या लोहे के लोहे के बजाय तांबे का इस्तेमाल करना चाहिए.
* छठ पूजा के चारों दिन स्नान-ध्यान कर ना ही प्याज-लहसुन का इस्तेमाल करना चाहिए और ना ही धूम्रपान करना चाहिए.
* व्रती व्यक्ति को पूजा की रात जमीन पर सोना चाहिए.
* संध्याकाल डूबते सूर्य को अर्घ्य देने एवं पूजा के पश्चात छठी मइया की कथा अवश्य सुनना चाहिए.
* इस दिन पूजा आदि के लिए धातु के बर्तनों के बजाय बांस अथवा बेंत से बनी बनी टोकरी का इस्तेमाल करना चाहिए.
* इस पूजा में स्वच्छता का विशेष महत्व है, इसलिए पूजा का प्रसाद बनाने वाली जगह हर दृष्टि से स्वच्छ होनी चाहिए. साथ ही जहां प्रसाद रखा जाए, वह जगह भी स्वच्छ होना चाहिए.
* इस दिन किसी बुजुर्ग अथवा भिखारी के साथ दुष्टता से पेश नहीं आना चाहिए.
* छठ पर्व के चारों दिन घर में शांति व्यवस्था होनी चाहिए, किसी तरह के विवाद अथवा क्लेश से घर में नकारात्मकता आती है, और मान्यता है, ऐसे घरों में देवी-देवता प्रवास नहीं करते.
* हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, छठ का व्रत रखने वाले पुरुषों तथा महिलाओं को बेड के बजाए भूमि पर बिस्तर बिछाकर सोना चाहिए.
* प्रसाद बनाने वाली जगह की अच्छे से सफाई होनी चाहिए, तथा प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी का चूल्हा ही इस्तेमाल करना चाहिए.
* पूजा के लिए तैयार प्रसाद भगवान को चढाने के बाद ही किसी को इसका सेवन करना चाहिए.
* छठ पूजा वाले घरों में वासना अथवा दैहिक संबंध बनाने से बचना चाहिए, इस तरह के विचार भी मन में नहीं लानी चाहिए.













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