Bijoya Dashami 2019: नवरात्रि के दसवें दिन अपने मायके से ससुराल जाती हैं मां दुर्गा, जानिए बंगाली समुदाय के लोग कैसे मनाते हैं बिजोया दशमी का पर्व
बिजोया दशमी 2019 (Photo Credits: ANI)

Bijoya Dashami 2019:  नवरात्रि (Navratri) के दसवें दिन विजयादशमी (Vijayadashami) यानी दशहरे (Dussehra) का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. खासकर, बंगाली समुदाय (Bengalis) में दुर्गा पूजा के आखिरी दिन बिजोया दशमी (Bijoya Dashami) का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा (Maa Durga) धरती पर अपने मायके में रहने के लिए आती हैं और विजयादशमी यानी बिजोया दशमी के दिन वे अपने बच्चों के साथ माता-पिता का घर छोड़कर वापस अपने ससुराल कैलाश लौट जाती हैं. यह पर्व असुर महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का प्रतीक है, इसलिए इस त्योहार को देशभर में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

बंगाली समुदाय में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के बाद दशमी के दिन सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है, जिसके बाद देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है और अगले साल देवी दुर्गा के जल्दी वापस आने की कामना की जाती है. चलिए जानते हैं बंगाली समुदाय के लोग बिजोया दशमी यानी विजयादशमी के पर्व को कैसे मनाते हैं. यह भी पढ़ें: Vijayadashami 2019: देशभर में दशहरे की धूम, विजयादशमी पर सिंदूर खेला में शामिल हुईं बंगाली समुदाय की महिलाएं, देखें तस्वीरें

सिंदूर खेला का होता है आयोजन

नवरात्रि की दशमी तिथि यानी बिजोया दशमी के दिन देश के विभिन्न दुर्गा पंडालों में सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है, जिसमें बंगाली समुदाय की महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं. इस दौरान महिलाएं पहले मां दुर्गा, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी का श्रृंगार करके उन्हें सिंदूर अर्पित करती हैं. इसके बाद एक-दूसरे को संदूर लगाकर सिंदूर की होली खेलती हैं. मान्यता है कि इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और महिलाओं को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

अर्पित की जाती है पान और मिठाई

सिंदूर खेला का बंगाली समाज में काफी महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि मां दुर्गा साल में एक बार अपने मायके आती हैं और पांच दिनों तक रहती हैं, जिसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है. दुर्गा पूजा का आयोजन नवरात्रि की षष्ठी तिथि से नवमी तिथि तक किया जाता है. इसके बाद दशमी तिथि को जब मां दुर्गा मायके से विदा होकर ससुराल जाती हैं तो उनकी मांग में सिंदूर भरा जाता है और उन्हें पान व मिठाई खिलाई जाती है. इसके बाद किसी नदी या तालाब में देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. यह भी पढ़ें: Durga Puja 2019: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दुर्गा उत्सव, जानिए दुर्गा पूजा से जुड़ी खास बातें

गौरतलब है कि बिजोया दशमी के दिन बंगाली समुदाय के लोग एक-दूसरे को शुभो बिजोया दशमी कहकर शुभकामनाएं देते हैं. शाम के समय देवी दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के समय 'अछे बोछोर अबर होबे' (यह अगले साल फिर से होगा) का जयकारा लगाते हुए देवी दुर्गा से अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं.