Bakrid Mubarak 2019 Wishes And Messages: दुनिया भर के मुसलमानों के लिए आज का दिन बेहद खास है, क्योंकि आज (12 अगस्त 2019) बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस्लाम धर्म के पांच फर्जों में शामिल हज यात्रा पूरी होने की खुशी में ईद-उल-जुहा यानी बकरीद (Bakrid) का त्योहार मनाया जाता है. इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के बारहवें महीने जु-अल-हज्जा की पहली तारीख को चांद नजर आ जाती है, इसलिए इसके ठीक 10 दिन बाद बकरीद (बड़ी ईद) मनाई जाती है. कुर्बानी के इस पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग बकरों की कुर्बानी देकर हजरत इस्माइल (Hazrat Ismail) की दी हुई कुर्बानी को याद करते हैं.
कहा जाता है कि बकरीद के दिन ही हजरत इस्माइल अल्लाह को अपनी सबसे प्यारी चीज यानी अपने बेटे को कुर्बान करने चले थे, लेकिन अल्लाह ने उनकी ईमानदारी देख उनके बेटे की जगह बकरे को रख दिया था, इसलिए बकरीद के दिन को फर्ज-ए-कुर्बानी का दिन माना जाता है. इस दिन बकरों की कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं. पहला हिस्सा परिवार वालों, दूसरा हिस्सा दोस्तों- रिश्तेदारों और तीसरा हिस्सा समाज के गरीब और जरूरतमंद लोगों में बांट दिया जाता है.
कुर्बानी के इस पर्व पर लोग एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं. बेशक आप भी अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों के साथ मिलकर ईद का जश्न मनाने की तैयारी में होंगे, लेकिन उससे पहले इन शानदार WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, HD Wallpapers, GIF Images, Photo SMS और शायरियों को भेजकर बकरीद मुबारक कहना न भूलें.
1- जिंदगी का हर पल खुशियों से कम न हो,
आपका हर दिन ईद के दिन से कम न हो,
ऐसा ईद का दिन आपको हमेशा नसीब हो,
जिसमें कोई दुःख और कोई गम न हो.
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2- सदा हंसते रहो जैसे हंसते हैं फूल,
दुनिया के सारे गम तुम जाओ भूल,
चारों तरफ फैलाओ खुशियों के गीत,
इसी उम्मीद के साथ तुम्हें मुबारक हो बकरीद!
बकरीद मुबारक!
3- चुपके से चांद की रोशनी छू जाए आपको,
धीरे से ये हवा कुछ कह जाए आपको,
दिल से जो चाहते हो मांग लो खुदा से,
हम दुआ करते हैं मिल जाए वो आपको.
बकरीद मुबारक!
4- दीपक में अगर नूर न होता,
तन्हा दिल यूं मजबूर न होता,
हम आपको 'ईद मुबारक' कहने जरूर आते,
अगर आपका घर इतना दूर न होता.
बकरीद मुबारक!
5- समंदर को उसका किनारा मुबारक,
चांद को उसका सितारा मुबारक,
फूलों को उसकी खुश्बू मुबारक,
दिल को उसका दिलदार मुबारक,
आपको और आपके परिवार को,
ईद-उल-अजहा मुबारक.
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प्रचलित कहानी के अनुसार, हजरत इस्माइल को एक बार आकाशवाणी हुई कि अल्लाह की रजा के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करो. हजरत इस्माइल को उनकी औलाद ही सबसे प्रिय थी, इसलिए उन्होंने अपने बेटे की ही बलि देना स्वीकार किया. उन्हें लगा कि बेटे की कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली. कुर्बानी देने के बाद जब उन्होंने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो देखा कि उनका बेटा उनके सामने जिंदा खड़ा है, जबकि बेदी पर कटा हुआ मेमना पड़ा था. माना जाता है कि तभी से बकरीद पर बकरे और मेमनों की कुर्बानी देने की इस प्रथा की शुरुआत हुई.