आशूरा 2024 (Photo Credits: File Image)
Ashura 2024 Messages in Hindi: इस्लाम धर्म में रमजान (Ramzan) के बाद मुहर्रम (Muharram) को दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जो इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है. इस महीने को सुन्नी और शिया दोनों समुदायों के लिए बेहद खास माना जाता है. मुहर्रम की शुरुआत बकरीद के करीब 20 दिन बात होती है और इस साल 7 जुलाई 2024 से इस महीने की शुरुआत हुई है. मुहर्रम महीने के 10वें दिन आशूरा (Ashura) होता है, जिसका इस्लाम धर्म में काफी महत्व बताया जाता है. मुहर्रम की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा (Youm-e-Ashura) के नाम से जाना जाता है और इस साल 17 जुलाई को आशूरा मनाया जा रहा है. दरअसल, आशूरा मातम का दिन होता है और हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग आशूरा के दिन मातम मनाते हैं.
इस्लाम धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम के महीने में इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, इसलिए आशूरा के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मातम मनाते हैं. ऐसे में यौम-ए-आशूरा पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फोटो एसएमएस को अपनों संग शेयर करके इमाम हुसैन की शहादत को याद कर सकते हैं.
1- कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,
यूं तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन,
हुसैन ने वो सजदा किया, जिस पर खुदा को नाज है.
आशूरा 2024 (Photo Credits: File Image)
2- पानी की तलब हो तो एक काम किया कर,
कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,
दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,
जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर.
आशूरा 2024 (Photo Credits: File Image)
3- सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,
नेजे पर सिर था और,
जुबान पे आयतें कुरआन,
इस तरह सुनाया हुसैन ने.
आशूरा 2024 (Photo Credits: File Image)
4- मुहर्रम पर याद करो वो कुर्बानी,
जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी,
ना डिगा वो हौसलों से अपने,
काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी.
आशूरा 2024 (Photo Credits: File Image)
5- फिर आज हक के लिए जान फिदा करे कोई,
वफा भी झूम उठे यूं वफा करे कोई,
नमाज 1400 सालों से इंतजार में है,
हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई.
आशूरा 2024 (Photo Credits: File Image)
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, करीब 1400 साल पहले इराक के कर्बला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और यजीद की सेना के बीच खूनी जंग छिड़ गई थी. हजरत इमाम हुसैन इस्लाम की रक्षा के लिए इस जंग में लड़ रहे थे. कर्बला की इस जंग में इस्लाम की रक्षा के लिए इमाम हुसैन ने अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहादत दी थी. मुस्लिम समुदाय के लोग उनकी शहादत को याद करते हुए आशूरा के दिन ताजिया निकालकर मातम मनाते हैं.