Ashadhi Ekadashi 2023 Wishes: शुभ आषाढ़ी एकादशी! शेयर करें श्रीहरि के ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images और Wallpapers
आषाढ़ी एकादशी 2023 (Photo Credits: File Image)

Ashadhi Ekadashi 2023 Wishes in Hindi: वैसे तो साल में पड़ने वाली सभी एकादशी तिथियां जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को अत्यंत प्रिय हैं, लेकिन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है, क्योंकि इस एकादशी से श्रीहरि चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में इसे आषाढ़ी एकादशी के तौर पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल आषाढ़ी एकादशी 29 जून 2023 को मनाई जा रही है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं, इसके साथ ही चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है.

आषाढ़ी एकादशी का महत्व इसलिए भी बताया जाता है, क्योंकि इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत होते ही चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इस दिन महाराष्ट्र में विट्ठल-रुक्मिणी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसे में इस पावन अवसर पर आप श्रीहरि के इन मनमोह वॉट्सऐप स्टिकर्स, विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स के जरिए शुभ आषाढ़ी एकादशी कह सकते हैं.

1- आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं

आषाढ़ी एकादशी 2023 (Photo Credits: File Image)

2- आषाढ़ी एकादशी की हार्दिक बधाई

आषाढ़ी एकादशी 2023 (Photo Credits: File Image)

3- हैप्पी आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2023 (Photo Credits: File Image)

4- आषाढ़ी एकादशी 2023

आषाढ़ी एकादशी 2023 (Photo Credits: File Image)

5- शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2023 (Photo Credits: File Image)

आषाढ़ी एकादशी यानी देवशयनी एकादशी व्रत के नियमों का पालन भी दशमी तिथि से शुरु हो जाता है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए, फिर पूजा स्थल पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद पीले चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल, मौसमी फल, मिठाई, तुलसी दल, धूप-दीप इत्यादि से उनका विधिवत पूजन करना चाहिए. इस दिन 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने के साथ ही इस व्रत की कथा को पढ़ना या सुनना उत्तम माना जाता है, फिर अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.