अनंत चतुर्दशी सनातन धर्म का आध्यात्मिक पर्व है. यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष के 14वें दिन मनाया जाता है, वस्तुतः यह पर्व गणेशोत्सव की समाप्ति का भी प्रतीक है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने से विष्णु जी के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है. यह पर्व उत्तर भारत के साथ महाराष्ट्र, गुजरात में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर भक्त भगवान श्रीहरि के अनंत स्वरूप के साथ जुलूस निकालते हैं. इस वर्ष अनंत चतुर्दशी का पर्व 28 सितंबर 2023, शुक्रवार को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि, मुहूर्त एवं मंत्र तथा जानेंगे जैन समुदाय के लिए क्या है इसका महत्व..
अऩंत चतुर्दशी 2023 की तिथि एवं पूजा मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्तः 06.12 AM से 06.49 PM (28 सितंबर 2023)
अनंत चतुर्दशी प्रारंभः 10.18 PM (27 सितंबर, 2023, बुधवार)
अनंत चतुर्दशी समाप्तः 06.49 PM (28 सितंबर, 2023, गुरूवार)
अनंत चतुर्दशी की पूजा-विधि
अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, भाद्रपद में बढ़ते चंद्रमा के 14वें दिन मनाया जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार यह भगवान श्रीहरि के अनंत स्वरूप को समर्पित है. अनंत चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का ध्यान कर, व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. एक स्वच्छ चौकी पर लाल अथवा पीला वस्त्र बिछाकर इस पर रोली अथवा अक्षत से स्वास्तिक का निशान बनाएं. भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित कर उनके मस्तष्क पर पीला चंदन से तिलक लगाएं. निम्न मंत्र का जाप करते हुए भगवान को जल एवं पुष्प अर्पित करें.
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
भगवान को पीला पुष्प, तुलसी दल, फूलों का हार चढ़ाएं एवं प्रसाद में फल एवं दूध से बना मिष्ठान अर्पित करें. विष्णु जी की चालीसा एवं स्तुतिगान करे. श्रीहरि के अनंत स्वरूप का ध्यान करें एवं विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें. अब हल्दी पानी के घोल में एक सफेद कच्चा धागा भिगो कर उसमें 40 गांठ लगाएं, और भगवान विष्णु को अर्पित करें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें. इसके बाद सभी को प्रसाद वितरित करें, तथा भगवान विष्णु को अर्पित पीला सूत्र पूजा मुहूर्त के भीतर अपनी कलाई में बांधें. इसके बांधने से आपके कार्य में आ रही सारी बाधाएं खत्म होती हैं.
जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी का महत्व
जैन धर्म में भी अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व बताया जाता है. अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान अनंत को संदर्भित करता है, जिसे जैन धर्म में सर्वोच्च आत्मा की अभिव्यक्ति मानी जाती है. इस दिन जैन धर्म के लोग भगवान अनंत का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास रखते हैं और पूजा-अनुष्ठान करते हैं. मान्यतानुसार व्रत एवं पूजा से भगवान अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद देते हैं. पूजा के दरम्यान 14 गांठों वाला एक धागा भगवान को अर्पित करते हैं, जिसे 14 क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व का प्रतीक माना जाता है. इस धागे को जैन धर्म के लोग अपनी कलाई में बांधकर जैन धर्म के सिद्धांतो को दर्शाते हैं. जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी वार्षिक क्षमा समारोह एवं संवत्सरी की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है. इस जैन समुदाय जाने-अनजाने जीवित प्राणी को हुई क्षति के लिए छमा याचना करते हैं. यह पर्व जैन समुदाय के अहिंसा सिद्धांत को भी दर्शाता है, और शांतिपूर्ण और दयालु मानसिकता के साथ जीने के लिए प्रेरित करता है.