जिस तरह करवा चौथ पर पति के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं उसी तरह अहोई अष्टमी पर माताएं अपने पुत्रों के कल्याण और लंबी उम्र के लिए सुबह से लेकर शाम तक व्रत रखती हैं, हालांकि इन दिनों यह व्रत सभी बच्चों के लिए किया जाता है. आधी रात को तारे देखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है. इस साल यह त्योहार 8 नवम्बर को पड़ रहा है. करवा चौथ की तरह, अहोई अष्टमी को उत्तर भारत में अधिक व्यापक रूप से मनाया जाता है. इस दिन को अहोई अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि अहोई अष्टमी का व्रत अष्टमी तिथि के दौरान किया जाता है जो महीने का आठवां दिन होता है. यह आम तौर पर दिवाली से आठ दिन पहले और करवा चौथ के चार दिन बाद मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Ahoi Ashtami 2019: अहोई अष्टमी का किया है व्रत तो पूजा के दौरान जरूर सुनें यह कथा, जानिए संतान की खुशहाली के लिए इस दिन किन नियमों का करना चाहिए पालन
इस दिन को लेकर एक मान्यता है कि इस दिन के बाद से दिवाली तक नाकारात्मक शक्तियां तेज हो जाती हैं इसलिए माताएं अपने नवजात और छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखती हैं. इस दिन पूजा के साथ व्रत किया जाता है और परिवार के साथ बैठकर व्रत कथा पढ़ी जाती है. अहोई माता की सच्चे दिल से पूजा करने पर जिनकी संतान नहीं होती उन्हें संतान प्राप्ति का अहोई माता वरदान देती हैं. इस दिन लोग एक दूसरे को अहोई अष्टमी की शुभकामनाएं देते है. इस अहोई अष्टमी पर आप भी अपने घरवालों, रिश्तेदारों और दोस्तों को नीचे दिए गए मैसेज और कोट्स से अहोई अष्टमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं. Ahoi Ashtami 2018: संतान प्राप्ति के पर्व ‘अहोई अष्टमी’ पर इन WhatsApp मैसेजों से करें अपनों को विश
शुभ अहोई अष्टमी!
पल भर के लिए ही सही माँ को याद कीजिये.
होगी पूरी तमन्ना जरा फरियाद कीजिये.
शुभ अहोई अष्टमी!
शोहरत, समृद्धि की हो बौछार लाए
अहोई अष्टमी का त्योहार
शुभ अहोई अष्टमी..!!
हर साल आता है अहोई अष्टमी का त्योहार
हर बार बढ़ाता है ये मां बच्चो का प्यार
मुबारक हो अहोई अष्टमी का त्योहार
शुभ अहोई अष्टमी..!!
सबसे पहले माता की पूजा
सब कुछ उसके बाद
यही दुआ है हम सब पर
सदा रहे माता का आशीर्वाद
शुभ अहोई अष्टमी..!!
मां अहोई का व्रत है आज
अर्ज किया है मैंने आपको आज
कर दो अब जीवन साकार
जय मां अहोई.
शुभ अहोई अष्टमी..!!
इस व्रत को कार्तिक कृष्ण अष्टमी व्रत के नाम से भी जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी का व्रत करने से अहोई माता प्रसन्न होकर बच्चों की सलामती का आशीर्वाद देती हैं. इस व्रत में अहोई माता के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.