Ahoi Ashtami 2019: अहोई अष्टमी का किया है व्रत तो पूजा के दौरान जरूर सुनें यह कथा, जानिए संतान की खुशहाली के लिए इस दिन किन नियमों का करना चाहिए पालन
अहोई अष्टमी 2019 (Photo Credits: Facebook)

Ahoi Ashtami 2019: संतान की लंबी उम्र और उसकी खुशहाली के लिए आज अधिकांश महिलाओं ने अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami Vrat) का व्रत रखा है. हर साल अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का पर्व कार्तिक महीने के कष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली से आठ दिन पहले किया जाता है. इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत करती हैं और शाम को तारों को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत पूर्ण करती हैं. माना जाता है कि जो महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं उनकी संतान को लंबी उम्र का वरदान मिलता है और उनके जीवन में कोई कष्ट नहीं आता है. इस दिन व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और इस व्रत की कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha) को जरूर पढ़ना या सुनना चाहिए.

अगर आपने भी अहोई अष्टमी का व्रत रखा है तो चलिए हम आपको बताते हैं इस व्रत की पौराणिक कथा, जिसे सुनने मात्र से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही यह भी जान लेते हैं कि जिन महिलाओं ने व्रत रखा है उन्हें किन नियमों का पालन करना चाहिए.

अहोई अष्टमी व्रत कथा

अहोई अष्टमी की व्रत कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक साहूकार था, जिसके 7 बेटे, 7 बहुएं और एक बेटी थी. दिवाली उत्सव के लिए घर की लिपाई के खातिर मिट्टी लाने के लिए साहूकार की बेटी अपनी भाभियों के साथ जंगल में गई. जंगल में जमीन से मिट्टी खोदते समय उसकी खुरपी से स्याहु के एक बच्चे को चोट लग गई, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई. अपने बच्चे की मौत से आहत होकर नन्हें स्याहु की मां ने साहूकार की बेटी की कोख बांधने का श्राप दे दिया. इसके बाद साहूकार की बेटी ने अपनी सभी भाभियों से कहा कि आपमें से कोई एक अपना कोख बांध ले. आखिर में अपनी ननद की तकलीफ को देखते हुए उसकी सबसे छोटी भाभी अपनी कोख बांधने के लिए तैयार हो गई.

स्याहु माता के श्राप के कारण जब भी साहूकार की सबसे छोटी बहू बच्चे को जन्म देती, जन्म के महज 7 दिन बाद उसकी संतान की मृत्यु हो जाती थी. इस तरह से छोटी बहू की सात संतानों की मृत्यु हो गई. इसके बाद छोटी बहू इस समस्या का समाधान जानने के लिए एक पंडित के पास पहुंची. पंडित ने उससे कहा कि वह एक सुरही गाय की सेवा करे. इस समाधान को जानने के बाद साहूकार की छोटी बहू सुरही गाय की सेवा करती है और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर गौ माता उसे स्याहु माता के पास ले गई. रास्ते में उसकी नजर एक सांप पर पड़ी जो गरुड़ पंखनी के बच्चे को डसने वाला था, लेकिन उससे पहले वह सांप को मार देती है.

अपने बच्चे को सुरक्षित देखकर गरुड़ पंखनी छोटी बहू को स्याहु माता के पास ले जाती है, छोटी बहू स्याही माता की भी तन-मन से सेवा करती हैं, उसके सेवा भाव से प्रसन्न होकर स्याही माता उसे सात संतानों की मां और सात बहुओं की सास होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से निसंतान महिलाओं को संतान सुख और जिनकी संतान हैं उन्हें लंबी उम्र और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है. यह भी पढ़ें: Ahoi Ashtami 2019: बेटे की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए महिलाएं रखती हैं अहोई अष्टमी का व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व

अहोई अष्टमी पर करें ये काम

  • निसंतान महिलाओं को इस दिन अहोई माता और भगवान शिव को दूध-भात का भोग लगाना चाहिए. इसके साथ ही भोजन का आधा हिस्सा गाय को खिलाना चाहिए.
  • अहोई माता की पूजा के दौरान उन्हें सफेद रंग के फूलों की माला अर्पित करके संतान सुख की कामना करनी चाहिए. इससे जल्द ही मुराद पूरी होती है.
  • इस दिन निसंतान महिलाओं को चांदी की नौ मोतियों को लाल धागे में पिरोकर उस माला को अहोई माता को अर्पित करना चाहिए. इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है.
  • अहोई माता की पूजा के बाद व्रत रखने वाली महिलाओं को अपने पति के साथ दूध-भात का सेवन करना चाहिए और शाम को पीपल के पेड़ तले दीपक जलाना चाहिए.
  • अहोई अष्टमी के दिन पारद शिवलिंग का दूध से अभिषेक करना चाहिए और माता गौरी से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.

इन नियमों का करें पालन

  • अहोई अष्टमी के दिन लहसुन और प्याज का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग करने से बचें.
  • इस दिन सूखी या गिली मिट्टी को हाथों से स्पर्श नहीं करना चाहिए और न ही मिट्टी खोदने के लिए कुदाल या खुरपी का उपयोग करें.
  • अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनने के दौरान अपने हाथ जोड़ें और उसमें गेंहू के कुछ दाने रखें. कथा पूरी हो जाने के बाद गेंहू के दाने किसी गाय को खिलाएं.
  • संध्या के समय तारों को अर्घ्य दें और उनका पूजन करें. अर्घ्य के दौरान कुछ पानी बचा लें और दिवाली के दूसरे दिन उस जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें.
  • अहोई अष्टमी की विधिवत पूजा करने के बाद पंडित को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. इसके बाद परिवार के सभी लोग प्रेमपूर्वक भोजन करें.

माना जाता है कि इस अहोई अष्टमी के दिन माता अहोई की विधिवत पूजा करने, व्रत कथा पढ़ने या सुनने से व्रत को पूर्ण फल प्राप्त होता है, लेकिन इस व्रत के दौरान इससे जुड़े निमयों का पालन करना भी आवश्यक माना जाता है.