Ahoi Ashtami 2025 Messages: शुभ अहोई अष्टमी! अपनों संग शेयर करें ये शानदार हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes और GIF Greetings
अहोई अष्टमी 2025 (Photo Credits: File Image)

Ahoi Ashtami 2025 Messages in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत किया जाता है. अखंड सौभाग्य के पर्व करवा चौथ (Karwa Chauth) को मनाए जाने के करीब चार दिन बाद महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और उसके खुशहाल जीवन के लिए अहोई अष्टमी का व्रत (Ahoi Ashtami Vrat)  करती हैं. इस दिन अहोई माता की पूजा अर्चना करने के बाद रात में तारों को अर्घ्य देकर महिलाएं इस व्रत को पूर्ण करती हैं. इस साल 13 अक्टूबर 2025 को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है. अहोई अष्टमी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. इस व्रत को करने से संतान को लंबी उम्र, अच्छी सेहत और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है. सूर्योदय से सूर्यास्त तक रखे जाने वाले इस व्रत के प्रभाव से बच्चों के साथ होने वाली हर प्रकार की अनहोनी टल जाती है.

अहोई अष्टमी के दिन निर्जल व्रत रखकर माता पार्वती के रूप अहोई माता की पूजा की जाती है और व्रत कथा पढ़ी या सुनी जाती है. दरअसल, बच्चों की सभी संकटों से रक्षा, उनके खुशहाल जीवन और उनके उज्जवल भविष्य की कामना से महिलाएं इस व्रत को करती हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स को शेयर करके अपनों से शुभ अहोई अष्टमी कह सकते हैं.

1- शोहरत, समृद्धि की हो आप पर बौछार,
ऐसा आए अहोई अष्टमी का पावन त्योहार.
शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2025 (Photo Credits: File Image)

2- अहोई अष्टमी का दिन है कितना खास,
जिसमें पुत्रों के लिए होते हैं उपवास.
शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2025 (Photo Credits: File Image)

3- आपकी संतान पर बना रहे मां अहोई का आशीष,
आपके जीवन में आए खुशियों की बहार.
शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2025 (Photo Credits: File Image)

4- अहोई अष्टमी का ये प्यारा त्योहार,
जीवन में लाए खुशियां अपार,
मां अहोई जी करें,
आपके घर सुख की बरसात.
शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2025 (Photo Credits: File Image)

5- पल भर ही सही प्यारी मां को याद कीजिए,
होगी पूरी तमन्ना जरा आप फरियाद तो कीजिए.
शुभ अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी 2025 (Photo Credits: File Image)

इस पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके सात पुत्र थे. दिवाली से पहले साहूकार की पत्नी रंगाई के लिए खदान से मिट्टी लेने गई, जहां गलती से उसके हाथों से सेह के बच्चे की हत्या हो गई. उसके हाथों से सेह के बच्चे के मारे जाने से साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ और वो पश्चाताप करते हुए घर वापस आई. कुछ समय बाद एक-एक करके साहूकार के सातों बेटों की मौत हो गई. अपने बेटों के निधन के बाद साहूकार की पत्नी ने रोते हुए अपने पड़ोस की महिलाओं को बताया कि खदान से मिट्टी खोदते समय गलती से उसके हाथों से सेह के बच्चे की मौत हो गई.

साहूकार की पत्नी की इस बात को सुनकर महिलाओं ने कहा कि तुम्हारे पश्चाताप से तो तुम्हारा आधा पाप समाप्त हो गया है, लेकिन अब तुम्हे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन व्रत रखकर, सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी पूजा करते हुए उनसे क्षमा याचना करनी चाहिए. महिलाओं की बात सुनकर साहूकार की पत्नी ने वैसा ही किया और हर साल वो नियमित रूप से इस व्रत को करते हुए क्षमा याचना करने लगी. इस व्रत के प्रभाव से उसे सात पुत्रों की प्राप्ति हुई. मान्यता है कि तब से अहोई अष्टमी व्रत की परंपरा निभाई जा रही है.